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29 नवम्बर को परमहंसी गंगा आश्रम में होगा महाराज श्री का अभिषेक

इलाहाबाद-लम्बे समय से चले आ रहे ज्योतिर्मठ बद्रिकाश्रम ज्योतिष्पीठ विवाद को अन्ततः विराम लग गया,ज्योतिष्पीठ विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद माननीय उच्च न्यायालय ने ज्योतिष्पीठ को रिक्त घोषित कर दिया था इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने स्वामी वासुदेवानंद का ज्योतिष्पीठ का शंकराचार्य होने का दावा खारिज करते हुए उन्हें न केवल शंकराचार्य पद बल्कि सन्यासी तक होने के अयोग्य ठहराकर ज्योतिष्पीठ को रिक्त घोषित कर दिया था और इस तथ्य को भी स्वीकार किया था कि 1973 में ज्योतिष्पीठाधीश्वर के रूप में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी का अभिषेक हुआ था ,लेकिन तब यह पीठ रिक्त नही थी और ज्योतिष्पीठ का शंकराचार्य चुनने का दायित्व विद्वत परिषद, तीनों शंकराचार्यों को तीन महीने में चुनने का निर्णय सुनाया था, जिसके फलस्वरूप काशी के भारत धर्म महामण्डल और द्वारकशारदापीठ,गोवर्धनपीठ पुरी,श्रृंगेरीपीठ,के शंकराचार्यों का समर्थन पाकर अपना वक्तव्य सुनाया कि काशी धर्म महामण्डल के व्यक्त अभिमत के अनुरूप तथा भारत धर्म महामण्डल के न्याय विलेख उद्घोषणा पत्र 11 मई1 1941(डीड ऑफ डिक्लेरेशन) की व्यवस्थाओं के अनुसार उक्त निश्चय किया है।भारत धर्म महामण्डल की वर्तमान 37 सदस्यीय अखिल भारतीय मंत्री सभा (आल इंडिया कॉउंसिल) के 20 सदस्यों की सर्वसम्मति से पारित निर्णय में कहा गया है कि ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य के लिए स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज शंकराचार्य परम्परा के मानक ग्रंथ ‘मठाम्नाय सेतु एवं महानुशासनम ‘ के प्रावधानों के अनुरूप सर्वथा उपयुक्त,अर्ह एवं सुयोग्य संन्यासी हैं। प्रस्ताव में कहा गया है कि स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज इस पीठ के पूर्व शंकराचार्य स्वामी ब्रम्हानंद जी महाराज के वर्तमान में एकमेव शिष्य हैंऔर मान्य व्यवस्था तथा परम्परानुसार भी उनका अभिषेक किया जाना सर्वथा उचित है।प्रस्ताव मे उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित तीन मास की अवधि जो 21 दिसम्बर को पूर्ण होगी के पूर्व शंकराचार्य पद पर अभिषेक सम्पन्न करने का संकल्प व्यक्त किया गया है तथा कहा गया है कि शंकराचार्य की परंपरा उच्छिन्न न हो इस हेतु न्यायालय के निर्णय का अनुपालन शीघ्र किया जाना सुनिश्चित हुआ है,जिसमे 29 नवम्बर दिन बुधवार को पूज्यपाद महाराज श्री की तपस्थली परमहंसी गंगा आश्रम में प्रातः 10 बजे होगा जिसमें भारत धर्ममहामंडल,काशी विद्वत परिषद के पदाधिकारियों के साथ द्वारका,श्रृंगेरी और पुरी पीठ के शंकराचार्यों के प्रतिनिधि आदि पधार रहे हैं। 1982 से द्वारकाशारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी हैतब उनके ज्योतिष्पीठ पर अभिषेक से ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य का विवाद समाधानपूर्वक समाप्त हो गया है।उक्त खबर पाकर पूज्यपाद महाराज श्री के शिष्यों में हर्ष व्याप्त हो गया। 29 नवम्बर को परमहंसी गंगा आश्रम में होगा महाराज श्री का अभिषेक। ज्योतिष्पीठाधीश्वर के शंकराचार्य के रूप में होगा अभिषेक। विद्वत परिषद, तीनों शंकराचार्यों के प्रतिनिधि रहेंगे मौजूद
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