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इसलिए मारा जाता जलती हुई लाश के सिर पर डंडा, जानकर हैरान रह जाएंगे आप

( कृष्णा पंडित)--वाराणसी__ हमारे सामज में फैशन और टेक्नोलॉजी ने अपनी एक अलग पहचान बना ली है। लेकिन, इस फैशन और  टेक्नोलॉजी के इस दौर में भी हमारे धर्म की कुछ ऐसी बातें है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है। आज हम हिंदू धर्म की एक महत्वपूर्ण रीती के बारे में बात करने जा रहे हैं। हिंदू धर्म में लोगों के मरने के बाद उनकी अंतिम क्रिया की जाती है और इस अंतिम क्रिया का अपना एक अलग ही महत्व होता है। सभी धर्मों का अपना अलग-अलग महत्व होता है। आइए जानते है इससे जुड़ी कुछ बातें... बता दें कि हिंदू धर्म के अनुसार व्यक्ति के मरने के बाद महिलाएं शमशान घाट नहीं जाती है। मृत इंसान के साथ गहरा रिश्ता होने के बावजूद महिलाओं को शमशान घाट नहीं जाने दिया जाता, लेकिन जैसे-जैसे वक़्त बदला है समाज में भी बदलाव आया है। बदलते वक्त के साथ कुछ बदलाव हुए है, समाज के कुछ लोग महिलाओं को अपने साथ शमशान घाट ले जाते हैं, उन्हें इस बात में कोई आपत्ति नज़र नहीं आती है। जलती हुई लाश के सर पर डंडा इसके अलावा महिलाएं घर पर इसलिए रहती हैं ताकि शमशान घाट से वापस आने पर वह पुरुषों का हाथ पैर धो कर उन्हें पवित्र कर सकें। अंतिम संस्कार की एक प्रथा के दौरान मरने वाले के बेटे को शव के सर पर डंडे से मारने के लिए कहा जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि मरने वाले के पास यदि कोई तंत्र विद्या है, तो कोई दूसरा तांत्रिक उसकी विद्या को चुराकर उसकी आत्मा को अपने वश में ना कर सके। आत्मा को वश में कर लेने पर वह उससे कोई भी बुरा काम करवा सकता है। महिलाओं को शमशान घाट नहीं जाने दिया जाता दरअसल, कहते हैं कि महिलाओं का दिल पुरुषों के मुकाबले बेहद नाज़ुक होता है। यदि शमशान घाट पर कोई महिला अंतिम संस्कार के वक़्त रोने या डरने लग जाए तो मृतक की आत्मा को शांति नहीं मिलती। कहते हैं कि अंतिम संस्कार की प्रक्रिया बहुत जटिल होती है और महिलाओं का कोमल दिल यह सब देख नहीं पाता है। सिर का मुंडन इतना ही नहीं, हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार के बाद लोग अपना सिर भी मुंडवा देते हैं। सिर मुंडवाने की प्रथा घर के सभी पुरुषों के लिए अनिवार्य है। इसके विपरीत महिलाओं के लिए ऐसा कोई नियम-कानून नहीं है, इसलिए उन्हें अंतिम क्रिया की प्रक्रिया से दूर रखा जाता है।
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रियाज़ खान चितौड़गढ़ के नेतृत्व में पत्रकारों ने दिया ज्ञापन

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