इस मामले में 18 नवंबर को अहमदनगर सेशन कोर्ट ने कोपर्डी रेप केस के मुख्य अभियुक्त जितेंद्र बाबूलाल शिंदे, संतोष गोरख भावल और नितिन गोपीनाथ भाइलुमे को दोषी करार दिया था.
कोपर्डी रेप केस से शुरू हुआ विवाद आगे चलकर मराठा आंदोलन में बदल गया.
मराठा आंदोलन की शुरुआत 13 जुलाई को अहमदनगर के एक गाँव कोपर्डी में हुई एक गंभीर घटना से हुई.
कोपर्डी के एक घर से पिछले साल 13 जुलाई को एक मराठा लड़की शाम में बाहर निकली मगर दोबारा कभी वापस नहीं लौटी.
उसी दिन गाँव के ही तीन लड़कों ने उसका कथित तौर पर बलात्कार किया और उसकी हत्या कर दी.
पीड़ित लड़की मराठा. गिरफ़्तार होने वाले तीन युवा दलित. इस घटना को लेकर मराठा समाज सड़कों पर आ गया.
पहला मोर्चा औरंगाबाद में हुआ. उस मोर्चे में मराठों ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम को ख़त्म करने की मांग की.
उनका तर्क था कि दलित इस क़ानून का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन बाद में अधिनियम में संशोधन करने की मांग ने ज़ोर पकड़ने लगी.