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हाईकोर्ट ने पूछा- सीट लेने के बाद 94 उम्मीदवारों ने क्यों नहीं लिया दाखिला

जांच समिति यह भी देखे कि सीट आवंटित कराने वाले उम्मीदवार कॉलेज संचालकों के डमी तो नहीं थे। हाईकोर्ट ने पूछा- सीट लेने के बाद 94 उम्मीदवारों ने क्यों नहीं लिया दाखिला

जबलपुर/ भोपाल. सात प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में एनआरआई कोटे से हुए 97 एडमिशन के मामले में हाईकोर्ट ने संचालक चिकित्सा शिक्षा विभाग को निर्देश दिए हैं कि जांच समिति यह भी देखे कि सीट आवंटित कराने वाले उम्मीदवार कॉलेज संचालकों के डमी तो नहीं थे। इसकी जांच रिपोर्ट 11 दिसंबर तक पेश की जाए। महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने सातों कॉलेजों के अपात्र 107 उम्मीदवारों के एडमिशन निरस्त किए जाने की रिपोर्ट पेश की। भोपाल के पीपुल्स, चिरायु, एलएन, आरकेडीएफ, इंदौर के अरबिंदो, इंडेक्स, देवास के अमलतास और उज्जैन के आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के इन विद्यार्थियों के केस में जस्टिस आरएस झा एवं जस्टिस नंदिता दुबे की खंडपीठ में बुधवार को पहली सुनवाई थी। गौरतलब है कि कॉलेजों की 94 सीटें मॉप अप राउंड काउंसलिंग से भरी गई। डीएमई ने नीट यूजी काउंसलिंग 2017 में लेफ्ट आउट राउंड के बाद खाली रही ये सीटें कॉलेजों काे काउंसलिंग के जरिए भरने को दी थीं। खास बात यह है कि 163 सीटों के लिए हुई लेफ्ट आउट राउंड में उम्मीदवारों ने च्वाइस लॉक करके सीट आवंटित कराई थी। बावजूद इसके 94 उम्मीदवारों ने आवंटित कॉलेज में दाखिला नहीं लिया। महाधिवक्ता ने सभी एडमिशन को सही करार दिया।एनआरआई कोटे में भारी गड़बड़ियां .... - याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आदित्य संघी ने आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि इस राउंड में दिए गए 94 एडमिशन में से 90 फीसदी नॉन-डोमिसाइल उम्मीदवारों को दिए गए हैं। - इस पर महाधिवक्ता ने भी स्वीकार किया कि एडमिशन में कुछ गड़बडिय़ां हुई हैं। दोबारा जांच के लिए कुछ मोहलत दी जाए। - कोर्ट ने 11 दिसंबर तक मोहलत दी। संघी ने कोर्ट को बताया कि एनआरआई कोटे में भारी गड़बडिय़ां हैं। नियमों को दरकिनार कर बाहरी छात्रों और अयोग्य उम्मीदवारों को प्रवेश दिया गया है। किस कॉलेज के कितने एनआरआई कोटे के एडमिशन निरस्त हुए - चिरायु भोपाल - 21 - पीपुल्स भोपाल - 6 - एलएन भोपाल - 15 - अरविंदाें इंदौर - 13 - इंडेक्स इंदौर - 19 - अमलतास देवास - 20 - आरडी गार्डी उज्जैन - 13   स्त्राेत : संचालक चिकित्सा शिक्षा द्वारा एनआरआई कोटे के तहत हुए अपात्रों के एडमिशन निरस्त करने के आदेश के अनुसार। - सुप्रीम कोर्ट ने 2012 प्रिया विरुद्ध जगदलपुर मेडिकल कॉलेज के मामले में गलत या अवैधानिक तरीके से प्रवेश के संबंध में संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की है। - ऐसी स्थिति में छात्रों को मुआवजा देने का प्रावधान भी है। इस केस में मेडिकल एजुकेशन विभाग और निजी कॉलेजों की मिलीभगत है। - इसका खामियाजा योग्य और पात्र छात्रों को भुगतना पड़ा। एनआरआई कोटे की सीटों पर उम्मीदवार नहीं मिलने पर ये सीटें सामान्य वर्ग के पात्र छात्रों को मिलनी थीं। आदित्य संघी, याचिकर्ता के वकील कैसे चुने हुए उम्मीदवारों को रोका और नाकाबिल सीट पा गए? - उज्जैन के आदिश जैन, खंडवा के प्रांशु अग्रवाल सहित करीब डेढ़ दर्जन छात्रों ने याचिका दायर कर आरोप लगाया कि 9 व 10 सितंबर को लेफ्ट आउट राउंड और मॉप-अप राउंड की करीब 163 सीटों के लिए काउंसलिंग हुई। - मॉप अप राउंड की सीटों पर एडमिशन के लिए 10 सितंबर को शाम 7 बजे ऑनलाइन सूची जारी की गई। उम्मीदवारों को संबंधित कॉलेजों में 12 बजे के पहले पहुंचना था। यह नामुमकिन था। - कॉलेजों को छूट थी कि यदि चयनित उम्मीदवार रात 11:59 बजे तक नहीं पहुंचे तो जो उपलब्ध हों उन्हें आवंटित कर दी जाए। - इस राउंड के लिए जो सूची जारी की गई, उनमें से एक भी उम्मीदवार को प्रवेश नहीं दिया गया। उनके स्थान पर बाहरी और अयोग्य छात्र प्रवेश पा गए।(साभार)
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रियाज़ खान चितौड़गढ़ के नेतृत्व में पत्रकारों ने दिया ज्ञापन

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