- शासन ने 31 ऐसे अधिवक्ताओं को भी सरकारी वकील के रूप में नियुक्ति दी है, जिनकी सिफारिश महाधिवक्ता की ओर से की ही नहीं गई। सूत्रों के मुताबिक नियमों को ताक पर रखते हुए इन वकीलों की नियुक्ति स्थानीय मंत्री, विधायक और सांसदों की सिफारिशों के आधार पर की गई है।
- इन अधिवक्ताओं का बायोडेटा, आवेदन पत्र और नियुक्ति संबंधी जरूरी दस्तावेज लेना तक उचित नहीं समझा गया। राजनीतिक दखलंदाजी के कारण नियुक्ति के लिए महाधिवक्ता कार्यालय से अभिमत भी नहीं लिया गया। यह खुलासा सूचना के अधिकार के तहत सामने आए सरकारी वकीलों की नियुक्ति संबंधी दस्तावेजों से हुआ है।
प्रस्ताव... एक नियमानुसार, दूसरा नियमों के शिथिलीकरण का
- विधि विभाग ने एक नोटशीट पर दो अलग-अलग प्रस्ताव (अ, ब) अनुमोदन के लिए विधि मंत्री के पास भेजे थे। प्रस्ताव (अ) में महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने वकीलों के नामों में से 10 वर्ष से कम अनुभव वाले वकीलों को छोड़कर नियुक्ति करने की सिफारिश की थी।
- प्रस्ताव (ब) में 10 वर्ष के अनुभव संबंधी नियम शिथिल करने की सिफारिश थी। 29 जुलाई 2017 को विधि मंत्री रामपाल सिंह ने प्रस्ताव (ब) का अनुमोदन किया। इसके बाद विधि एवं विधाई विभाग के प्रमुख सचिव अरविंद मोहन सक्सेना ने इसे अंतिम मंजूरी के लिए सीएम के पास भेज दिया।
आदेश... सिफारिश आईं 117, नियुक्तियां हुई 148 वकीलों की
- जबलपुर के लिए 2 अतिरिक्त महाधिवक्ता 4 उपमहाधिवक्ता समेत कुल 54 वकीलों की नियुक्ति की सिफारिश की गई थी, लेकिन नियुक्ति आदेश 68 के जारी हुए।
- ग्वालियर के लिए 1 अतिरिक्त महाधिवक्ता और 1 उपमहाधिवक्ता समेत 33 अधिवक्ताओं की नियुक्ति की सिफारिश की गई थी, लेकिन नियुक्त आदेश 40 के जारी किए गए।
- इसी तरह इंदौर के लिए 1 अतिरिक्त महाधिवक्ता और 2 उपमहाधिवक्ता समेत कुल 30 अधिवक्ताओं की नियुक्ति की सिफारिश थी, लेकिन आदेश 40 के जारी किए गए।
31 जुलाई को जारी हुए थे नियुक्ति आदेश
- हाईकोर्ट की तीनों बेंचों में 148 सरकारी वकीलों की नियुक्ति के आदेश 31 जुलाई को जारी किए गए थे।
- जबलपुर में 68, ग्वालियर में 40 और इंदौर में 40 वकीलों की नियुक्ति की गई है। इनका कार्यकाल 1 अगस्त 2017 से शुरू होकर 31 जुलाई 2018 तक रहेगा।
सीजेआई, चीफ जस्टिस समेत कैग के पास पहुंची शिकायत
- वकीलों की नियुक्ति में नियम और तय प्रक्रिया की अवहेलना, अपात्रों की नियुक्ति और सरकारी वकीलों की सैलरी में 400 प्रतिशत की वृद्धि की शिकायत सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायधीश, मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस समेत महालेखाकार एवं नियंत्रक लेखा परीक्षा (कैग) ग्वालियर को भी की गई है।
- आरटीआई की जरिए यह जानकारी हासिल करने वाले शिकायतकर्ता संकेत साहू के मुताबिक जरूरत से ज्यादा वकीलों की नियुक्ति और 400% वेतन वृद्धि कर जनता के टैक्स के पैसे का दुरुपयोग किए जाने से वह आहत है।
इनका तर्क
^हाईकोर्ट में सरकारी वकीलों की नियुक्ति का प्रस्ताव महाधिवक्ता भेजते हैं। उसका परीक्षण विधि विभाग करता है। इसके बाद अनुमोदन के लिए हमारे पास आता है। यह प्रकरण मेरी जानकारी में आया है। इसका परीक्षण कराया जा रहा है। यदि कहीं कोई त्रुटि हुई, तो परीक्षण के बाद उसमें सुधार कराया जाएगा।
- रामपाल सिंह, कैबिनेट मंत्री, विधि एवं विधायी कार्य विभाग
^सरकारी वकीलों की नियुक्ति में पूरा प्रोसीजर फॉलो किया गया है। अनुभव में रियायत का फैसला कॉम्पिटेंट अथॉरिटी द्वारा लिया गया है। जहां जरूरत थी सिर्फ वहीं रिलेक्सेशन दिया गया है। इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कहना चाहता।
- अरविंद मोहन सक्सेना, प्रमुख सचिव, विधि एवं विधायी कार्य विभाग
अनुभव भी पूरा नहीं, लेकिन बन गए सरकारी वकील
बेंच नाम एनरोलमेंट वर्ष
जबलपुर मोहित नायक 2008
जबलपुर शिवेंद्र पांडेय 2009
जबलपुर अंकित अग्रवाल 2010
जबलपुर सौरव श्रीवास्तव 2008
जबलपुर विद्याशंकर मिश्रा 2009
ग्वालियर अवनीश सिंह 2009
इंदौर कोस्तुभ पाठक 2009
इंदौर अभिषेक सोनी 2009
इंदौर हेमंत शर्मा 2010
इंदौर विशाल सनोठिया 2010