उमा भारती और केन बेतवा लिंक परियोजना, उमा भारती के प्रयासों की अनदेखी
रवीन्द्र व्यास
बुंदेलखंड उमा भारती फरवरी 2022 में छतरपुर जिले के गंज के हनुमान मंदिर में प्रसाद चढ़ाती हैं, हनुमान भक्त उमा भारती ने इसी मंदिर में रेलवे लाइन की तरह ,केन बेतवा लिंक परियोजना की भी मन्नत मांगी थी ।असल में उमा भारती का मानना है कि बुंदेलखंड के विकास के लिए परिवहन और पानी ऐसी आवश्यकता है जिसके बाद ,बुंदेलखंड विकास की रफ़्तार पकड़ लेगा | दिसंबर २०२1 में केन बेतवा लिंक परियोजना से सारे अवरोध हट गए थे और केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 44605 करोड़ के लागत वाली इस परियोजना को स्वीकृति दे दी थी | इसके बाद केन बेतवा के कार्यों की प्रारम्भिक शुरुआत भी हो गई थी , | जिस पर बुंदेलखंड के लोगों को 3 वर्ष की प्रतीक्षा क्यों कराई गई इसके पीछे के सियासत की एक अलग कहानी है |
अटल जी की जन्म शताब्दी पर केन बेतवा लिंक परियोजना की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रखेंगे | दिसंबर २०२१ में जब इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल की स्वीकृति मिली , उमा भारती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया | यह बाँध छतरपुर जिले के बिजावर विधानसभा क्षेत्र के ढोंडण गाँव में बनना है | यह स्थान पन्ना टाइगर रिजर्व में आता है |
छतरपुर जिले के गंज गाँव के उस हनुमान मंदिर में फरवरी २०२२ में पहुंची जहाँ उमा भारती ने इस परियोजना के लिए मन्नत मांगी थी | उमा भारती ने इस दौरान कहा कि बुंदेलखंड से हर वर्ष 10-12 लाख लोग रोजगार की तलाश में पलायन करते हैं। उन्होंने इसे बुंदेलखंड की बड़ी समस्या बताते हुए कहा कि कोई व्यक्ति और मजदूर अपनी जन्मभूमि छोड़कर नहीं जाना चाहता है |बुंदेलखंड में पलायन एक बड़ा मामला है , पलायन के पीछे अपने कुछ कारण भी हैं | उन्होंने भरोषा जताया था कि केन बेतवा लिंक परियोजना बनने के बाद पलायन भी रुकेगा |
ललितपुर सिंगरौली रेलवे लाइन के शिलान्यास कार्यक्रम का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया था कि , उस समय अटल जी की सरकार थी और में केंद्र में मंत्री थी | सभी तैयारियां हो चुकी थी ललितपुर सिंगरोली रेलवे लाइन के शिलान्यास की तभी चुनाव आचार संहिता लग गई | किसी तरह अनुमति लेकर शिलान्यास खजुराहो में अटलजी ने किया | जब जाने लगे तो वो हमें साथ ले जाना चाहते थे , किन्तु हमने रुकने की उनसे अनुमति ले ली | हम खजुराहो से यहाँ इसी मंदिर तक खुली जिप्सी खुद चलाकर आये और मनौती पूर्ण होने पर यहां प्रसाद चढ़ाया | हजारों कार्यकर्ता हमारे साथ आये थे |
यहाँ ये दिलचस्प है कि ललितपुर सिंगरौली रेलवे लाइन का जब उद्घाटन हुआ , तब उमा भारती बीजेपी से बाहर थी , और केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी , उस समय कांग्रेस वालों ने उमा भारती का नाम तक नहीं लिया था | अब केन बेतवा का जब शिलान्यास होगा तब उमा भारती सांसद भी नहीं हैं , ऐसे में प्रोटो काल का प्रॉब्लम आएगा , फिर भी उमा भारती खुश हैं की केन बेतवा आ गई |
जिस समय उमा भारती गंज के हनुमान मंदिर में मनौती का प्रसाद और भंडारा कर रही थी उस दौरान यहाँ स्थानीय ग्रामीण के अलावा जिले के तत्कालीन प्रभारी मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ,बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा ,और विधायक गण भी मौजूद रहे |
बुंदेलखंड से लेकर देश प्रदेश में बीजेपी का ध्वज फहराने वाली उमा भारती इन दिनों राजनैतिक अछूत हो गई हैं | बीजेपी उनके किये गए कार्यों का श्रेय और सम्मान देने में भी परहेज करने लगी है | जिस उमा भारती के योगदान से आज केन बेतवा लिंक परियोजना शिलान्यास तक पहुंची उसे ही उनकी पार्टी और उनकी ही सरकार के लोगों ने दरकिनार कर दिया |
नदियों को आपस में जोड़ने का जो सपना अटल जी ने देखा था उसे धरातल पर उतारने का कार्य मोदी जी कर रहे हैं। बुंदेलखंड की तस्वीर बदलने वाली इस परियोजना को गति देने और आने वाले अवरोधों को दूर करने में उमा भारती के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता है। मोदी सरकार में जल संसाधन मंत्री बनने के साथ ही उन्होंने केन बेतवा लिंक परियोजना को गति देने का कार्य शुरू कर दिया। दोनों राज्यों के सी एम (एम पी,यू पी) के बीच जल बंटवारे को लेकर सहमति बनवाई। फिर मामला चाहे पन्ना टाइगर रिजर्व की वन भूमि ,का हो अथवा विस्थापित होने वाले ग्रामीणों हर मामले पर वे सक्रिय रही। वे ऐसी केंद्रीय मंत्री थी जिन्होंने डोडन बांध के प्रस्तावित स्थल का मौके पर जाकर निरीक्षण किया।
दरअसल उमा भारती जब केन बेतवा लिंक परियोजना पर कार्य कर रही थी उस समय वे एम् पी के शिवराज सरकार के अधिकारियों के कारण परेशान रही | उन्हें इस बात की जानकारी मिल गई थी कि एम् पी सरकार में पदस्थ दो आई ए एस अधिकारी इस प्रोजेक्ट पर अड़ंगा डालने का कार्य कर रहे है | प्रधान मंत्री से जुडी इस महत्त्व पूर्ण योजना पर अवरोध उत्पन्न करने का साहस किसके इसारे पर कर रहा है , इसका खुलासा भी काफी समय बाद हुआ | खुलासा भले ही विलम्ब से हुआ पर एक अधिकारी की बदनीयती के कारण योजना की लागत कई गुना बढ़ गई |
केन बेतवा लिंक परियोजना देश दुनिया के लिए एक मॉडल योजना भी थी , उमा भारती ने पीएम मोदी जी के निर्देश पर इसमें आ रही रुकावटों का निपटारा कर 2017 में ही इस परियोजना को शिलान्यास की स्थिति में ला दिया था | स्वयं प्रधान मंत्री भी 2017 के अंत में इसका शिलान्यास करना चाहते थे | किन्तु एमपी सरकार की इसमें कुछ आपत्तियां लगा दी थी | बाद में चुनाव आ गए जिसके कारण योजना फिर ठन्डे बस्ते में पहुंच गई |
असल में उमा भारती का मानना है कि बुंदेलखंड में पानी और परिवहन की व्यवस्था हो जाए तो यह इलाका भी समृद्धि की ओर अग्रसर हो जाएगा । इसी के चलते उन्होंने दशकों पुरानी ललितपुर सिंगरौली रेलवे लाइन का सपना साकार किया । जिसका शिलान्यास भी अटल बिहारी वाजपेई ने किया था। मतलब अटल जी के शासन काल में बुंदेलखंड के विकास की दो बड़ी नींव रखी गई थी।राजनीति में भले ही उमा भारती बीजेपी के लिए अनुपयोगी हो गई हो पर उनके बुंदेलखंड के लिए किये गए कार्यों को अनदेखा नहीं करना चाहिए |