जनहित याचिकाओं (पीआईएल) के गलत इस्तेमाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की
नई दिल्ली जनहित याचिकाओं (पीआईएल) के गलत इस्तेमाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की और कहा कि अब वक्त आ गया है कि इस अवधारणा पर दोबारा विचार किया जाए ताकि लोगों की भलाई के नाम पर शुरू हुई चीज का पब्लिसिटी और राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल ना हो सके।
क्या था मामला: 2015 में छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक जनसभा होनी थी, उसके लिए जो स्टेज तैयार किया गया था वह गिर गया था। अब छत्तीसगढ़ समाज पार्टी नाम का संगठन उस घटना की जांच NIA या फिर CBI की टीम से करवाने की गुजारिश लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। जिसपर जज नाराज हो गए और उन्होंने पार्टी पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया। इससे पहले ये लोग हाईकोर्ट गए थे, जहां इनपर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया था।
पार्टी ने स्टेज गिरने वाले हादसे के लिए पीएम ऑफिस को भी आरोपी बनाया था। तर्क दिया गया था कि उनके द्वारा भ्रष्टाचार करके खराब सामान लगाया गया था। याचिका में कहा गया था कि ऐसा करके पीएम की सुरक्षा में लापरवाही बरती गई है।
जजों ने क्या कहा: इस याचिका की सुनवाई जस्टिस ए के सीकरी और अशोक भूषण कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि पीआईएल की अवधारणा पर फिर से विचार किया जाए, क्योंकि इसका गलत इस्तेमाल हो रहा है। जजों ने यह भी कहा कि एक राजनीतिक पार्टी घटना के दो साल बाद इसकी जांच की मांग कैसे कर सकती है।
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