आतंकी अजमल कसाब के खिलाफ गवाही देने वाली और उसे फांसी की सजा दिलवाने में अहम भूमिका निभाने वाली चश्मदीद टीबी से पीड़ित महाराष्ट्र सरकार ने कहा, "हमारे पास कई और भी काम हैं
मुंबई. आतंकी अजमल कसाब के खिलाफ गवाही देने वाली और उसे फांसी की सजा दिलवाने में अहम भूमिका निभाने वाली चश्मदीद देविका रोटवान आपको याद होगी। ये कहानी उसकी बहादुरी और संघर्ष की है। ये कहानी अधूरे सरकारी दावों और लोगों की संवेदनहीनता की भी है। आतंकी की गोली लगने पर 6 ऑपरेशन करवा चुकी देविका पिछले एक साल से टीबी से पीड़ित है। नजदीकी रिश्तेदार तो इस परिवार का नाम न तो शादी के कार्ड में नाम छपवाना पसंद करते हैं और न ही इन्विटेशन देना। क्योंकि उन्हें लगता है कि आतंकियों को पता चल गया तो बिना वजह परेशानी में जाएंगे। 26/11 के आतंकी हमले के समय देविका 9 साल की थी। अब वह 18 साल की हो चुकी है। मुंबई की एक झुग्गी बस्ती में दैनिक भास्कर देविका से मिलने पहुंचा।
आतंकी हमले के बाद बिगड़े परिवार के हालात
- संकरी-सी गली में आपस में सटे कई छोटे-छोटे घरों में एक घर देविका का भी है। कोई 8X12 का साइज होगा। पिता नटवरलाल ने लोहे के एक छोटे-से पलंग पर बैठी दुबली-पतली देविका और उसके भाई जयेश से मिलाया। देविका की मम्मी के बारे में पूछा तो सब चुप हो गए। पिता ने बताया कि वे 2006 में ही चल बसीं।
- वे बताते हैं कि परिवार मूल रूप से राजस्थान के पाली जिले का है, लेकिन 30 साल पहले मुंबई गया था। यहां केसर और ड्राईफ्रूट्स का बिजनेस था। आतंकी हमले के बाद हम बेटी की सेवा में लग गए और उधर सारा काम-धंधा चौपट हो गया। व्यापारी पैसे खा गए। अब सबसे बड़ा बेटा यानी देविका का सबसे बड़ा भाई पुणे में किराने की दुकान पर काम करता है।
सम्मान तो खूब हो रहा है, लेकिन इनसे पेट नहीं भरता
- देविका ने सामने दीवार पर सजाकर रखे उसे मिले अवॉर्ड्स दिखाए। कोई 25 मोमेंटो होंगे। बताया कि बहुत सारे बक्से में भी रखे हैं।
- 26/11 की बरसी को लेकर हुए कई प्रोग्राम में कई नेताओं के साथ उसने अपने फोटो भी दिखाए। फिर वह मुझे लोहे की सीढ़ियों से होकर ऊपर ले गई। यहां छोटी-सी रसोई है। दो बिस्तर रखे हैं। दोनों भाई-बहन यहीं जमीन पर सोते हैं। एक छोटा-सा बक्सा और एक लोहे की अलमारी इस कमरे में रखी है।
- जयेश ने एक इन्विटेशन कार्ड दिखाते हुए कहा कि 26 नवंबर को गेट वे ऑफ इंडिया पर प्रोग्राम है। सीएम भी रहेंगे। हमको भी बुलाया है। देविका बोली- "हर साल देशभर में मुझे बुलाते हैं। प्रोग्राम में रिबन भी मुझसे ही कटवाते हैं।"
- नटवरलाल बोले, "सम्मान तो खूब हो रहा है, लेकिन इनसे पेट नहीं भरता। छह साल से पीछे गली में किराए पर रह रहे थे। हमें मकान मालिक बोलता था कि रोज ही टीवी में आते हो। सरकार से करोड़ों रुपए मिले होंगे। किराया ज्यादा लगेगा। तीन महीने पहले 9 हजार रुपए महीने किराए में यह कमरा लिया है।"
- देविका बोली कि हमारे रिश्तेदारों और दूसरे लोगों को लगता कि हमें सरकार और बड़े लोगों से करोड़ों रुपए मिल गए हैं। जबकि, सम्मान समारोह में जो पांच-दस हजार रुपए मिलते हैं, उससे ही मकान का किराया चुकाना पड़ता है।
आतंकियों से दुश्मनी के नाम पर रिश्तेदारों ने किया किनारा
- देविका बोली, "अंकल हमारे गांव में 5 दिसंबर को कुटुम्ब में ही एक शादी है। हमको तो बुलावा तक नहीं भेजा। कार्ड तक में पापा का नाम नहीं है। ऐसा पिछले कई सालों से हो रहा है। जब पापा नाराज होकर उनको पूछते हैं, तो बोलते हैं कि तुम्हारी तो आतंकियों से दुश्मनी है। हम नाम लिखवाएंगे तो पता चल जाएगा कि तुम्हारे रिश्तेदार हैं। बिना वजह परेशानी में पड़ जाएंगे।" इसी बीच टीवी पर पाकिस्तान में रिहा हुए मुंबई हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद की खबरें आने लगीं।
- दुबली-पतली देविका अचानक गुस्से में बोल पड़ती है, "जब तक सरकार इसको पकड़कर भारत नहीं लाती, तब तक मुझे चैन नहीं मिलेगा।"
डीएम ऑफिस से लेकर सीएम और पीएम ऑफिस में लगा चुके मदद की गुहार
- देविका के पिता के मुताबिक, "जब वह हॉस्पिटल में भर्ती थी, तब कांग्रेस के कई बड़े नेता मिलने आए थे। उन्होंने वादा किया था कि सरकार उनके रहने का बंदोबस्त करेगी। डीएम ऑफिस से आए अफसर फॉर्म पर साइन भी करवा कर ले गए थे। बाद में जब कलेक्टर ऑफिस गया तो जवाब मिला कि पुराने वाले कलेक्टर ने क्या बोला था, हमको नहीं पता।"
- नटवरलाल बताते हैं कि वे महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडनवीस से कई बार मिल चुके हैं। घटना से बाद से अभी तक उन्हें मात्र सरकारी मदद के 3 लाख 25 हजार रुपए ही मिले हैं।
- उन्होंने कहा कि स्पेशल कोर्ट ने कहा था कि सरकार इस परिवार के रहने और बच्ची को पढ़ाने का बंदोबस्त कराएगी। अब सरकार के अफसर बोलते हैं कि हमको कोर्ट के आदेश की कॉपी दिखाओ। अरे भाई, उन्होंने तो मौखिक बोला था। अब आदेश कहां से लाऊं?
- देविका ने कहा कि पिछले साल 12 से 18 फरवरी के बीच मोदीजी और पीएमओ के ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट पर कई ट्वीट किए थे। पौने दो साल बाद भी मोदीजी की तरफ से मुझे कोई रिप्लाई नहीं आया।
IPS बनकर आतंक का खात्मा करना चाहती है देविका
- संघर्ष के बीच भी देविका ने हार नहीं मानी है। वह अपनी बुक्स दिखाने लगी। कहने लगी- "इस बार हर हाल में मुझे टेन्थ स्टैंडर्ड क्लीयर करना ही है। बीमारी की वजह से दो पेपर में बैक आ गई है। अभी रोज सवेरे 9 बजे से 12 बजे तक ट्यूशन क्लासेज जाती हूं। शाम को फिर तीन घंटे क्लासेज जाती हूं। दो घंटे घर पर पढ़ती हूं। बस एक बार क्लीयर हो जाए।" वह आईपीएस बनकर आतंक का खात्मा करना चाहती है।
- मुंबई आतंकी हमले के केस को सरकार की तरफ से स्पेशल कोर्ट से लेकर इंटरनेशनल लेवल पर पक्ष रखने वाले सीनियर एडवोकेट उज्ज्वल निकम ने कहा कि ऐसी बच्ची और उसके परिवार की मदद का जिम्मा सरकार और हम सबका है। मैं व्यक्तिगत रूप से मदद की कोशिश करूंगा।
आतंकी हमला एक नजर में
- 26 नवंबर 2008 की रात दस साल की देविका, उसके पिता नटवरलाल और भाई जयेश मुंबई के सीएसटी टर्मिनल पर पुणे जाने के लिए आए थे।
- कसाब ने देविका के पैर में गोली मारी थी। बेहोशी की हालात में देविका को हॉस्पिटल ले जाया गया। देविका के पैर में स्टील की रॉड डाली गई और छह ऑपरेशन हुए।
सरकार बोली- हमारे पास कई और भी काम हैं
- महाराष्ट्र सरकार में मुख्य सचेतक राज के पुरोहित से जब देविका की मदद के बारे पूछा गया तो उन्होंने कहा, "हमारे पास कई और भी काम हैं। अब हमारे संज्ञान में बात लाई गई है। हम कोशिश करेंगे। परिवार को हमारे पास लाएं, सरकार उचित मदद करवाएगी।
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