भाजपा के लिए मददगार साबित हो सकते हैं केशुभाई पटेल -गुजरात मे सत्ता संग्राम
नई दिल्ली -गुजरात में जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक केशुभाई पटेल उन लोगों में से हैं, जिन्होंने राज्य में भाजपा को खड़ा किया था। 1995 में उन्हीं के नेतृत्व में भाजपा ने पहली बार अपनी सरकार बनाई और वह मुख्यमंत्री बने। मगर अब खराब स्वास्थ्य के चलते सक्रिय राजनीति में उनकी भूमिका कम हुई है। इसके बावजूद वह भाजपा के लिए अहम साबित हो सकते हैं। राज्य में हार्दिक पटेल के नेतृत्व में पाटीदार समुदाय के विरोध से निपटने के लिए वह भाजपा के लिए मददगार साबित हो सकते हैं।
पार्टी से बनते-बिगड़ते रिश्ते
भाजपा से उनके रिश्ते बनते बिगड़ते रहे हैं। पहली बार मुख्यमंत्री बनने के सात महीने बाद ही उन्हें शंकरसिंह वाघेला से विवाद के चलते इस्तीफा देना पड़ा था। बाद में 1998 में वह फिर से मुख्यमंत्री चुने गए, लेकिन 2001 में उन्होंने पद छोड़ दिया। माना गया कि भ्रष्टाचार और भुज में आए भूकंप के दौरान कुप्रबंधन के चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद से लगातार पार्टी से उनके रिश्तों में कड़वाहट आती रही। 2002 में वह चुनाव भी नहीं लड़े और 2007 में कांग्रेस को अप्रत्यक्ष तौर पर समर्थन किया। 2012 में आखिरकार उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और अलग पार्टी बना ली। मगर 2014 में वह फिर से भाजपा से जुड़ गए।
लेउवा समुदाय में पकड़
खराब स्वास्थ्य के बावजूद केशुभाई पटेल की मौजूदगी सौराष्ट्र क्षेत्र की कम से कम 20 सीटों पर असर डाल सकती है। यहां लेउवा समुदाय मं उनकी अच्छी पकड़ है। लोग उन्हें ‘बापा’ के नाम से पुकारते हैं। हालांकि 2012 के चुनावों में भाजपा से अलग गुजरात परिवर्तन पार्टी (जीपीपी) का गठन कर चुनाव लड़ा। वह सिर्फ दो सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाए थे।
चुनौतियां
-हार्दिक पटेल को मिलते समर्थन के बीच पटेल समुदाय के वोट को भाजपा के पक्ष में रखना
-खराब स्वास्थ्य के चलते सक्रिय रहने की परेशानी
शक्ति
-लेउवा समुदाय में केशुभाई पटेल की अच्छी पकड़
-02 बार गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके हैं
-6 बार गुजरात विधानसभा में चुनाव जीते
केशुभाई पटेल: सफरनामा
1960: जनसंघ से संस्थापक सदस्य के रूप में जुड़े
1977: राजकोट से लोकसभा चुनाव जीते
1978-95: कालावाड़, गोंदल और विसावदर से विधानसभा चुनाव जीते
1995: केशुभाई पटेल के नेतृत्व में भाजपा ने जीत दर्ज की और मुख्यमंत्री बने। मगर सात महीने बाद ही इस्तीफा दिया।
1998: केशुभाई पटेल फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने
2001: खराब स्वास्थ्य के चलते इस्तीफा दिया
2002: निर्विरोध राज्यसभा के सदस्य चुने गए
2007: केशुभाई पटेल ने विधानसभा चुनावों में अपने समुदाय से बदलाव के लिए वोट करने को कहा
2012: केशुभाई ने भाजपा से इस्तीफा दिया और गुजरात परिवर्तन पार्टी (जीपीपी) का गठन किया
2014: खराब स्वास्थ्य के चलते फिर से विधायक पद से इस्तीफा दिया और पार्टी का विलय भाजपा में किया
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