'मोहन भागवत के कहने से न तो मंदिर बन जाएगा और न ही मस्जिद'
कर्नाटक के उडुपी में चल रही धर्म संसद में राममंदिर को लेकर आरएसएस प्रमुख द्वारा दिए गए बयान को लेकर अयोध्या विवाद के मुस्लिम पक्षकारों ने सवाल उठाया कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है, उसमें आरएसएस पक्षकार भी नहीं है, तो भागवत कौन होते हैं इस मामले को तूल देने वाले। कहा 5 दिसंबर से मामले में सुनवाई शुरू हो रही है अब अदालत जो फैसला देगी वही मान्य होगा।
मालूम हो कि धर्म संसद में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बयान दिया है कि मंदिर वहीं बनेगा जहां राम की जन्मभूमि है, इसके अतिरिक्त कोई फार्मूला मान्य नहीं होगा।
बाबरी मस्जिद के पक्षकार हाजी महबूब ने कहा कि मोहन भागवत कौन होते हैं, वे क्या हैं, उनका मामले से क्या मतलब है। उनके कहने से न तो मंदिर बन जाएगा और न ही मस्जिद।
हाजी ने कहा कि मंदिर/मस्जिद मामले को लेकर 5 दिसंबर से सुनवाई शुरू हो रही है। अदालत जो फैसला करेगी हमें मान्य होगा। विवादित भूमि पर मंदिर बनेगा या फिर मस्जिद, ये सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद तय होगा। बयानबाजी के बजाय अब अदालत के फै सले का इंतजार करना चाहिए।
बाबरी मस्जिद के मुद्दई स्व. हाशिम अंसारी के पुत्र इकबाल अंसारी ने भी आरएसएस प्रमुख के बयान को दरकिनार करते हुए कहा कि उनके बयान से कुछ लेना-देना नहीं है।
आरएसएस मामले में पार्टी भी नहीं है, इसलिए उनका बयान कोई अहमियत नहीं रखता। उन्होंने कहा कि 5 दिसंबर से मामले में सुनवाई शुरू हो रही है। अब तो सब कुछ अदालत के निर्णय पर निर्भर करेगा।
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