किशनगढ़ नगर परिषद को हाईकोर्ट के निर्देशों की भी परवाह नहीं
किशनगढ़-अजमेर जिले के किशनगढ़ उपखंड की नगर परिषद को हाईकोर्ट के निर्देशों की भी परवाह नहीं है, इसलिए आदेश के बाद भी अजमेर रोड पर बनी अवैध होटल बणी-ठणी को सीज नहीं किया जा रहा है। हाईकोर्ट के डंडे की मार से बचने के लिए परिषद के आयुक्त नारायण लाल मीणा ने होटल को सीज करने के आदेश तो दे दिए, लेकिन पुलिस इमदाद नहीं मिलने का बहाना कर अभी तक भी होटल को सीज नहीं किया गया है। भाजपा के कब्जे वाली नगर परिषद के प्रशासन द्वारा पुलिस की इमदाद तब मांगी जाती है, जब किशनगढ़ में कोई आंदोलन होता है या फिर किशनगढ़ पुलिस के सीआई सरकारी ड्यूटी पर बाहर गए होते हैं। ताकि यह दिखाया जा सके कि परिषद तो होटल को सीज करना चाहती है, लेकिन पुलिस मदद नहीं कर रही है। जबकि परिषद प्रशासन चाहे तो अपने स्तर पर ही होटल को सीज कर सकता है। अवैध तौर पर होटल का निर्माण करने वाले गोपाल प्रधान ने स्वयं स्वीकार किया है कि परिषद से नक्शा स्वीकृत नहीं करवाया है। आमतौर पर पुलिस इमदाद की जरुरत तब पड़ती है जब बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हटाने हों और मौके पर कानून व्यवस्था बिगड़ने का डरे हो। लेकिन होटल बणी-ठणी के मामले में हंगामे की कोई आशंका नहीं है, लेकिन फिर भी परिषद प्रशासन पुलिस इमदाद की बहानेबाजी कर रहा है। बहाने बाजी का पता इससे भी चलता है कि जब आयुक्त मीणा ने जिला पुलिस अधीक्षक को पत्र लिख दिया है। यानि जो मामला पहले पुलिस स्टेशन तक सीमित था उसे जानबूझ कर पुलिस अधीक्षक के पास भेज दिया है। पुलिस इमदाद के संबंध में सीआई जोगेन्द्र सिंह ने साफ कहा है कि मैंने इमदाद देने के लिए कभी मना नहीं किया है। उन्होंने कहा कि मैं परिषद प्रशासन के रवैये पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। अभी मैं सरकारी ड्यूटी पर किशनगढ़ से बाहर हंू। किशनगढ़ आते ही पुलिस इमदाद भी उपलब्ध करवा दी जाएगी।
किशनगढ़ दरबार की भूमि पर बनी है होटल
वहीं होटल का निर्माण करने वाले गोपाल प्रधान का कहना है कि होटल किशनगढ़ दरबार की 111 बीघा भूमि पर बनी हुई है। उसने यह भूमि बकायादा रजिस्ट्री से खरीदी है। विवादित भूमि पर 90 प्रतिशत निर्माण हो चुके हैं। अधिकांशं निर्माणों का नक्शा नगर परिषद से स्वीकृत नहीं हैं, इसलिए मैंने भी होटल का नक्शा स्वीकृत नहीं करवाया है। वहीं होटल के संबंध में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले राजेन्द्र वैष्णव का कहना है जिस भूमि पर होटल बना है वह भूमि सरकारी है। परिषद ने सरकारी भूमि मानते हुए सीज के आदेश दिए हैं, लेकिन परिषद अपने ही आदेशों पर अमल नहीं कर रही है। यदि परिषद ने जल्द की कार्यवाही नहीं की तो हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की जाएगी। वैष्णव ने आरोप लगाया कि परिषद अधिकारियों की मिलीभगत से होटल का निर्माण संभव हुआ। निर्माण के दौरान कई बार कार्य को बंद करवाया गया, लेकिन भ्रष्ट आचरण की वजह से काम निर्माण जारी रहा। इसलिए अब जब होटल बनकर तैयार हो गया है तब सीज की कार्यवाही भी नहीं की जा रही है।
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