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जिस प्रदेश में 12 सालों में कुपोषण से 12 लाख बच्चों की अकाल मौतें, हजारों किसानों की आत्महत्याऐं और हर मामलों में वह नं.-1 रहा हो, वहां विकास पर्व मनाना राजनैतिक बेशर्मी की पराकाष्ठा: अरूण यादव

भोपाल 28 नवम्बर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री अरूण यादव ने मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान के 12 वर्ष पूरे होने पर भाजपा द्वारा 29 नवम्बर को मनाये जाने वाले विकास पर्व को राजनैतिक बेशर्मी की पराकाष्ठा बताते हुए कहा है कि जिस प्रदेश में 12 सालों में कुपोषण / अतिकुपोषण से 12 लाख बच्चों की अकाल मौतें हुई हो, हजारों किसानों ने आत्महत्याऐं की हों, जो *प्रदेश भ्रष्टाचार, घपलों और "घोटालों की राजधानी" बन चुका हो, हत्या, अपहरण, फिरौती, दुष्कर्म-सामूहिक दुष्कर्म, बाल अपराध, मानव तस्करी, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, रेत का अवैध उत्खनन, जर्जर सड़कें, महंगाई, कोयले की कमी, बिजली संकट, सर्वाधिक महंगा पेट्रोल-डीजल, जर्जर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सैकड़ों निर्दोष मरीजों की मौतों सहित 156 बड़े घोटालों सहित हर मोर्चें पर सरकार असफल साबित हो चुकी हो, वहां ऐसे जश्नों की अपेक्षा विनाश और विभिन्न अपराधों को लेकर भाजपा का ‘‘पायश्चित दिवस’’ मनाना चाहिए। श्री यादव ने इन 12 वर्षों में हुए 156 प्रमुख घोटालों की सूची भी जारी की है। अपने कुछ महत्वपूर्ण आरोपों को आंकड़ों सहित स्पष्ट करते हुए श्री यादव ने कहा कि पिछले 12 वर्षाे में *12 अरब रू. खर्च करने के बाद 12 लाख बच्चों की मौतें हुई हैं, आदिवासियों के 71.4 फीसदी बच्चे कुपोषित है, प्रदेश का कुल औसत 60.3 प्रतिशत है, प्रदेश में प्रति हजार 58 बच्चों की मौत जन्म के समय ही कुपोषित होने की वजह से हो रही है, प्रदेश में शिशु मृत्यु दर भी प्रति 1000 पर 52 है, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार नवजात बच्चों और बाल मृत्यु दर में मप्र की भागीदारी भी सर्वाधिक है। भारत सरकार ने सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य के तहत मप्र को शिशु मृत्यु दर प्रतिहजार 58 से घटाकर 27 शिशु लाने का लक्ष्य दिया था, जिसमें राज्य सरकार असफल रही। इसी प्रकार राज्य अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार 2015 तक 18687 से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं। एनसीआरबी के ही अनुसार प्रतिवर्ष 4500 से अधिक बलात्कार की घटनाऐं दर्ज हो रही है, जो देश में सर्वाधिक हैं। यही स्थिति कानून-व्यवस्था को लेकर भी है, जिसमें लूट, डकैती, फिरौती, हत्या, दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म एवं दलित उत्पीड़न को लेकर भी प्रदेश का स्थान अव्वल है। श्री यादव ने भ्रष्टाचार को लेकर भी सर्वाधिक जूझ रहे प्रदेश की स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि प्रदेश के मुखिया भ्रष्टाचार को लेकर ‘जीरो टालरेंस’ की बात तो करते हैं, वहीं सार्वजनिक मंचों से भ्रष्टाचारियों का सम्मान भी करते हैं, इसे समाप्त करने के लिए बहुप्रचारित ‘भ्रष्टाचार विरोधी अधिनियम-2011’ भी लाया गया। इसके दो साल बाद ही भ्रष्टाचारियों को संरक्षित के उद्देश्य से ‘अनावश्यक तंग करने वाली मुकद्मेबाजी निवारण अधिनियम-2013’ भी पारित करा लिया गया, भ्रष्टाचार को थामने के लिए यह दोहरा चरित्र क्यों ? श्री यादव ने व्यापमं, सिंहस्थ, कुशाभाऊ ठाकरे मेमोरियल ट्रस्ट के नाम पर अरबों रूपयों का जमीन घोटाला, जवाहर लाल नेहरू अर्बन मिशन घोटाला, प्याज खरीदी, अवैध रेत उत्खनन, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, शौचालय निर्माण, विज्ञापन, इंदिरा आवास, मनरेगा, बिजली खरीदी, बुंदेलखंड पैकेज, बाध निर्माण, पेंशन, सुगनीदेवी भूमि घोटाला, डम्पर, पशु आहार, सहकारी बैंकों में भर्ती, फसल बीमा और अब भांवातर योजना के नाम पर घपले /घोटाले/ भ्रष्टाचार का चरित्र सामने आया है। इन सांकेतिक, किन्तु प्रमाणिक घोटालों के बाद भी शिवराज सरकार यदि अभिभूत है तो उसे वर्ष 2018 में जनता को जबाव देना होगा। श्री यादव ने कहा कि मप्र के संसदीय इतिहास में भाजपा के नेताओं और विधायकों का जितना नैतिक पतन हुआ है, उतना आज तक कभी देखने-सुनने को नहीं मिला है। राज्यमंत्री लालसिंह आर्य पर भादसं की धारा 302 में न्यायालय द्वारा आरोपी बनाये जाने के बाद अग्रिज जमानत रद्द होने के बावजूद उनका मंत्री परिषद में बने रहना, मंत्री नरोत्तम मिश्रा का विधानसभा चुनाव में पेड न्यूज के मामले में सदस्यता समाप्त होने के बावजूद भी पद पर निरंतर कार्य करना तथा धार की विधायक श्रीमती नीना वर्मा द्वारा विधानसभा चुनाव के समय दिये गये शपथ-पत्र पर संपत्ति संबंधी जानकारी छिपाने आदि के आरोप में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा सदस्यता समाप्त किये जाने के निर्णय के बाद यह प्रमाणित हो गया है कि भाजपा के विधायकों और नेताओं मेें नैतिकता नाम की कोई चीज नहीं है और उनका नैतिक पतन हो चुका है। जहां गरीब, किसान अल्पवर्षा और सूखे के कारण परेशान होकर आत्महत्या कर रहा हो, उस राज्य का मुख्यमंत्री जश्न-जलसे में करोड़ों रूपयों की बर्बादी करे, इस बात को प्रदेश की जनता स्वीकार नहीं और आगामी विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता भाजपा शासित सरकार को सबक सिखाने के लिए आतुर है। अन्य प्रमुख घोटाले:- 1. डीमेट घोटाला 2. केएमएसवाई योजना-मुख्यमंत्री निवास में 7 वर्षों से लगा टेंट 3. मुख्यमंत्री के परिजनों द्वारा बुधनी के आसपास जमीन खरीदी घोटाला 4. मुख्यमंत्री के साले द्वारा फर्जी दस्तावेजों से पंजीयन 5. एनआरएचएम घोटाला 6. मणीखेडा हरसी नहर घोटाला 7. बाणसागर परियोजना घोटाला 8. तेंदू पत्ता लाभांश वितरण घोटाला 9. मुख्यमंत्री द्वारा संरक्षित रेत घोटाला 10. ड्रिप एरीगेशन खरीदी घोटाला 11. को-आपरेटिव हाउसिंग सोसायटी घोटाला 12. लेंको अमरकंटक बिजली घोटाला 13. रिलायंस जमीन घोटाला 14. इंदौर विकास प्राधिकरण जमीन घोटाला* 15. भोपाल गेमन इंडिया घोटाला 16. सीहोर कोहली लिमि. द्वारा पट्टे की 328 एकड़ भूमि खरीदी घोटाला 17. शिक्षाकर्मी भर्ती घोटाला 18. मिड डे मील घोटाला 19. प्रधानमंत्री सड़क घोटाला 20. मुख्यमंत्री सड़क घोटाला 21. बीओटी टोल सड़क घोटाला 22. रीवा बैंक घोटाला 23. ट्रांसफर घोटाला 24. आबकारी घोटाला 25. वन अधिनियम पट्टा वितरण घोटाला 26. हाउसिंग बोर्ड घोटाला 27. आरएसएस जमीन घोटाला (कुशाभाऊ ठाकरे मेमोरियल ट्रस्ट जमीन घोटाले सहित अन्य) 28. यूनिफार्म खरीदी घोटाला 29. साईकिल घोटाला 30. गाय-बैल खरीदी घोटाला 31. बलराम तालाब घोटाला 32. पुस्तक खरीदी घोटाला 33. सहकारिता ऋण वितरण घोटाला 34. भोपाल का चंदा माम कांड 35. गौशाला अनुदान घोटाला 36. वृक्षारोपण घोटाला 37. नर्मदा घाटी नहर घोटाला 38. अवैध वन कटाई घोटाला 39. बाढ़ राहत घोटाला 40. एमपी एग्रो घोटाला 41. लघु उद्योग निगम खरीदी घोटाला 42. नलकूप खनन घोटाला 43. तकिया गद्दा खरीदी घोटाला 44. मच्छरदानी खरीदी घोटाला 45. टाइपिंग बोर्ड घोटाला 46. संस्कृत बोर्ड घोटाला 47. ओपन स्कूल परीक्षा घोटाला 48. ब्लैक बोर्ड पुताई घोटाला 49. किताब छपाई घोटाला 50. एक्स-रे टेक्नीशियन घोटाला 51. जननी प्रसव अनुदान घोटाला 52. सहरिया प्रोत्साहन राशि घोटाला 53. गौण खनिज परिहवन घोटाला 54. कपिल धारा घोटाला 55. प्रोफेसर भर्ती घोटाला 56. राज्य शिक्षा केंद्र टेªनिंग घोटाला 57. आरएसएस की देवपुत्र पत्रिका घोटाला 58. एमपीएसआईडी घोटाला 59. आहार परिवहन घोटाला 60. फर्टिलाइजर परिवहन घोटाला 61. स्कूल छात्रवृत्ति घोटाला 62. बीएड-डीएड घोटाला 63. कॉलेज छात्रवृत्ति घोटाला 64. कन्यादान योजना टेंडर घोटाला ) 65. स्वच्छ भारत मिशन प्रचार घोटाला 66. पंचायत निर्माण में कमीशन घोटाला 67. मंडी बोर्ड टैक्स चोरी घोटाला 68. कन्यादान नकली जेवर घोटाला 69. किसान कल्याण भ्रमण घोटाला 70. राजीव गांधी बिजलीकरण घोटाला 71. बीमा अस्पताल खरीदी घोटाला 72. राज्य शिक्षा केंद्र लेपटॉप घोटाला 73. रेशम किसान कल्याण घोटाला 74. छात्र मोबाईल वितरण घोटाला 75. बालाघाट फर्जी टीपी घोटाला 76. सहकारिता विभाग भर्ती घोटाला 77. मप्र नान घोटाला 78. बुंदेलखंड पशुपाललन घोटाला 79. हरदा सहकारी बैंक खरीदी घोटाला 80. ट्रांसफार्मर आयल खरीदी घोटाला 81. आपदा निधि घोटाला 82. मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान घोटाला 83. एकेव्हीएन भूमि घोटाला 84. आटो टेस्टिंग ट्रेक घोटाला 85. फर्जी राशन कार्ड घोटाला 86. रेशम घोटाला 87. समग्र आईडी घोटाला 88. नापतौल इंस्पेंटर भर्ती घोटाला 89. भूमि लीज घोटाला 90. इंवेस्टर्स समिट घोटाला 91. सेडमेप घोटाला 92. जेएनयूआरएम घोटाला 93. लोकसेवा गारंटी योजना घोटाला 94. किसान ऋणमाफी घोटाला 65. माखनलाल यूनिवर्सिटी भर्ती घोटाला 96. रतनजोत प्लांटेशन घोटाला 97. लघुवनोपज संघ घोटाला 98. कोल ब्लाक घोटाला 99. नाव एवं लाइफ जेकेट घोटाला 100. पोस्टमेन भर्ती घोटाला 101. सड़क निर्माण में ट्रांसट्रांय घोटाला 102. बरकतउल्ला युनिवसिर्टि घोटाला 103. बीएमएचआरसी घोटाला 104. मेडिकल काउंसलिंग घोटाला 105. सरदार सरोबर बांध स्थापना रजिस्ट्री घोटाला 106. दवाई घोटाला 107. इंदिरा आवास घोटाला 108. इंदौर सीवेज घोटाला 109. एलईडी घोटाला 110. लाईट टेप घोटाला 111. भोपाल दुग्ध संघ घोटाला 112. स्कूलों में गैस चूल्हा घोटाला 113. पीएससी घोटाला 114. जनश्री बीमा योजना घोटाला 115. मुंकुदपुर टाईगर सफारी निर्माण घोटाला 116. वेयरहाउसिंग घोटाला 117. चिटफंड घोटाला 118. छिंदवाड़ा बांध घोटाला 119. टेलीकॉम विभाग घोटाला 120. अस्पताल सफाई घोटाला 121. ट्रिप क्वाईल खरीदी घोटाला 122. डायल 100 घोटाला 123. नल कनेक्शन घोटाला 124. डामर घोटाला
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रियाज़ खान चितौड़गढ़ के नेतृत्व में पत्रकारों ने दिया ज्ञापन

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