मतदाता सूची में गड़बड़ी का मामला मीडिया में आने के बाद आनन-फानन में राज्य निर्वाचन आयुक्त एसके अग्रवाल ने लखनऊ मंडल के कमिश्नर अनिल गर्ग को जांच सौंपते हुए 15 दिसंबर तक रिपोर्ट देने का आदेश दिया है.
कहां हुई चूक?
रविवार को मतदान के दौरान कई मतदाता परेशान रहे. जिन्होंने कुछ महीने पहले विधानसभा में वोट डाला था उनके नाम ही मतदाता सूची से गायब थे. आलम यह था कि गोमतीनगर और इंदिरानगर जैसे पॉश इलाके में कई घरों के सदस्यों के नाम नदारद थे. यही नहीं केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्रा, महिला कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी, डीजीपी सुलखान सिंह और तीन बार लखनऊ के मेयर रहे दाऊजी गुप्ता के घर का नाम भी सूची से गायब था.
दरअसल इसके पीछे बूथ लेवल ऑफिसर्स की गलती सामने आ रही है. जिन्होंने बिना मौके पर गए घर बैठे ही सत्यापन कर दिया. इतना ही नहीं जिनके नाम थे उन्हें वोटर स्लिप भी नहीं बांटी गई. यही वजह है कि आयोग ने तीन बीएलओ को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है.
वोटर स्लिप घर न पहुंचने की वजह से आधे से ज्यादा वोटर घरों से निकले ही नहीं. उन्हें लगा कि उनका भी नाम कट गया है. लखनऊ के एक वोटर विपुल बताते हैं कि उनके घर पर्ची नहीं पहुंची. टीवी पर खबरें चल रही थी कि मतदाता सूची से कई मोहल्लों के नाम कटे हुए हैं.
बता दें लखनऊ में 23 लाख वोटर हैं. लेकिन आधे से ज्यादा मतदाताओं के पास वोटरस्लिप नहीं पहुंची. जिसकी वजह से उन्हें पता ही नहीं चला कि उन्हें वोट कहां डालना है. जिन्होंने ने बिना पर्ची के मतदान करने की कोशिश भी की तो पता चला कि उनका मतदान केंद्र परिसीमन की वजह से चेंज हो गया है.
अफसर करते रहे बयानबाजी
लखनऊ में 2200 बीएलओ को चुनाव ड्यूटी पर तैनात किया गया था. लेकिन किसी ने भी मतदाता सूची को लेकर जागरूकता नहीं दिखाई. इसकी शिकायत अफसरों से भी की गई लेकिन वे सिर्फ बयानबाजी करते रहे. प्रशासन आखिरी दिन तक पर्चियां बांटने के दावे करता रहा, लेकिन घर में ही बैठे रहे.