इंडोक्राइन सर्जरी विभाग में पिछले कुछ महीने से जांच शुल्क के जमा करने वाले रुपये में गड़बड़ी मिल रही थी। बताया जाता है कि यह गड़बड़ी सितम्बर से एक कर्मचारी के तबादले के बाद आने से बढ़ रही थी।
लगातार इसकी पड़ताल की जा रही थी, लेकिन मामला पकड़ में नहीं आ रहा था। कुछ दिनों पहले विभागीय जांच में जांच शुल्क की दी जाने वाली रसीद में गड़बड़ी पकड़ी गयी। बताया जाता है कि मरीज को दी जाने वाली रसीद में तो जांच शुल्क सही दर्ज किया जाता था, लेकिन नीचे कार्बन नहीं लगाया जाता था। रसीद देने के बाद कार्बन कापी में कम शुल्क दर्ज किया जाता था। जांच के अनुसार कार्बन कापी में गड़बड़ी की जाती थी। देखने में लगता था कि मरीज को रसीद ठीक दी गयी आैर यहीं पर घोटाला हो रहा था।
जांच की रसीद बुक की जांच में पाया गया कि यह गड़बड़ी लगातार तीन महीने से की जा रही थी। जांच में हजारों रुपयें की गड़बड़ी पायी गयी। कर्मचारी के खिलाफ जांच के लिए केजीएमयू प्रशासनिक कार्यालय में शिकायत की गयी आैर इसके बाद मामले को गंभीरता से लिया गया। अगर केजीएमयू प्रशासन की यकीन माने तो यह कर्मचारी इससे पहले भी तैनाती स्थल पर रुपये की गड़बड़ी करने पर तबादला कर दिया गया था। चर्चा है कि इस कर्मचारी पर एक बड़ा अधिकारी मेहरबान है।
विभाग प्रमुख डा. आनंद मिश्रा कहना है कि हमें कर्मचारी की आवश्यकता नहीं थी। इसलिए उसे अपने यहां रखने से मना कर दिया।