भोपाल।मंदसौर के विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने मंदसौर और नीमच जिले में चिटफंड कंपनियों की धोखाघड़ी की स्थिति के संबंध में आज मध्यप्रदेश विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव प्रस्तुत किया। पीठासीन उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह ने जब इस ध्यानाकर्षण पर चर्चा की अनुमति दी तो सदन के सदस्यों ने अलग अलग नजरियों से इस समस्या पर प्रकाश डाला। सरकार की ओर से गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह ने आश्वासन दिया कि पुलिस मुख्यालय में इस संबंध में एक सेल गठित किया जाएगा जो नान बैंकिंग फायनेंशियल कंपनियों और अन्य चिटफंड कंपनियों की गतिविधियों पर निगाह रखेगा और आवश्यक कार्रवाई करेगा।
यशपाल सिंह सिसोदिया ने कहा कि चिटफंड कंपनियों के स्थानीय बेरोजगार युवकों को अपना एजेंट बनाया और उनके माध्यम से लोगों को बड़ा मुनाफा दिलाने वाली स्कीम के संबंध में माहौल बनाया। उन कम्पनियों, संस्थाओं ने बड़े बड़े बोर्ड लगाकर के भोले-भाले किसानों, हम्मालों, व्यापारियों, छोटे व्यापारियों और बहुत गरीब लोगों का पैसा एफ.डी.आर, बचत खाते के माध्यम से जमा कर लिया. लोगो की गाढ़ी कमाई जमा करने वाली इन कंपनियों की पहचान के लिए कोई परीक्षण भी नहीं किए गए। जब कंपनियों ने निवेशकों को उनकी रकम पर ब्याज देना बंद कर दिया तब उनके खिलाफ धोखाघड़ी की शिकायतें की गईं। अकेले नीमच और मंदसौर जिलों में इस प्रकार के 14 प्रकरण पंजीबद्ध किए गए हैं। इनमें से छह कंपनियों के खिलाफ अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि आरबीआई के कानूनों के तहत इन कंपनियों का पंजीयन होता है. मध्यप्रदेश सरकार की ओर से क्या भारत सरकार के वित्त मंत्रालय को या आरबीआई को किसान, हम्मालो को लूटे जाने के संबंध में कोई पत्र भेजा जाएगा।इन कंपनियों में पैसा जमा कराने वाले निवेशक तो स्थानीय एजेंटों को पकड़ रहे हैं। जबकि वे एजेंट लाचार हैं। कई ने तो अपनी सारी रकम भी उन्हीं कंपनियों में जमा की थी।
गृहमंत्री भूपेन्द्रसिंह ने कहा कि मंदसौर एवं नीमच इन दोनों जिलों के बारे में माननीय विधायक जी ने एक आवेदन-पत्र पुलिस अधीक्षक मंदसौर, नीमच को दिया था उस आधार पर पुलिस के ने कार्रवाई भी की।पुलिस ने 14 कम्पनियों के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध किये ।उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से इनको लायसेंस देने का काम रिजर्व बैंक का है. राज्य सरकार के इसमें अधिकार सीमित हैं. सीधे तौर पर हम लोग उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकते. पुलिस के पास तब प्रकरण आता है जब कोई कंपनी फ्रॉड करके चली जाती है फिर हम लोग प्रयास करके और उसमें जो भी कानूनी कार्यवाही हो सकती है, वह कानूनी कार्यवाही पुलिस विभाग के द्वारा होती है. परंतु मुख्य रूप से यह विषय रिजर्व बैंक का है. पिछले दिनों प्रदेश में लगातार हमको इस तरह की शिकायतें मिल रही थीं, तो हम लोगों ने स्वत: अपनी तरफ से हमारे मध्यप्रदेश के जो थाने हैं उन थानों में 1511 जन संवाद जागरूकता शिविर आयोजित किये. उसके माध्यम से हम लोगों ने समाज को जागरूक करने का प्रयास किया कि इस तरह की कंपनियां फ्रॉड करती हैं और जो ब्लैक लिस्टेड कंपनियां हैं उनकी जानकारी भी हमने उसके माध्यम से दी. लोग इसके बावजूद इन कंपनियों के शिकार होते हैं और इसलिये राज्य सरकार, हमारे विभाग ने गंभीरता के साथ पिछले वर्ष ही इस संबंध में रिजर्व बैंक को लिखा था. हमारे प्रस्ताव एवं पत्र व्यवहार पर आरबीआई द्वारा आरओसी ने विगत चार माह में मध्यप्रदेश के 4500 एनबीएफसी को (स्ट्राईक ऑफ) बंद किया है. एनबीएफसी नॉन बैंकिंग फायनेंशियल कंपनी है और आरओसी रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ है.
गृहमंत्री ने कहा कि जो-जो प्रयास इस संबंध में हो सकते थे, वे प्रयास राज्य सरकार की ओर से किये गए हैं। जो विषय माननीय विधायक जी ने हम लोगों के समक्ष रखा है, इस पूरे विषय को और राज्य में जहां कहीं भी इस तरह की शिकायतें हैं, इन सारी शिकायतों को समुचित रूप से हम लोग फिर से रिजर्व बैंक को और भारत सरकार को भेजेंगे. भारत सरकार के जो माननीय वित्तमंत्री जी हैं उनको भेजेंगे और उनसे आग्रह करेंगे कि इस तरह की जो कंपनियां हैं उन पर और प्रभावी कार्यवाही की जाये.
उन्होंने कहा कि जैसा माननीय विधायक जी ने कहा कि इसमें पुलिस वेरीफिकेशन हो, पुलिस को जानकारी हो, लेकिन कंपनी के लायसेंस रिजर्व बैंक तय करता है और रिजर्व बैंक से हम लोग यह आग्रह करेंगे, क्योंकि हम लोगों की जानकारी में कुछ नहीं रहता. इसलिये हम लोग रिजर्व बैंक से इस बात का आग्रह करेंगे कि किसी भी कंपनी को अगर मध्यप्रदेश में अनुमति दी जाती है तो उसमें पुलिस वेरीफिकेशन अनिवार्य किया जाये. मैं समझता हूं कि पुलिस वेरीफिकेशन अनिवार्य होगा तो इससे काफी हद तक जो इस तरह की फ्रॉड कंपनियां हैं, उनको भी हमें रोकने में सफलता मिलेगी. इसको लेकर गृह विभाग के स्तर पर चूंकि यह कई विभागों से जुड़ा हुआ प्रश्न है, एक संयुक्त बैठक भी तीन माह में हमारे एसीएस की अध्यक्षता में स्वयं आयोजित करते हैं. उसमें भी इन सब चीजों पर विचार करके निर्णय करते हैं. हमारे मुख्य सचिव भी इसकी समीक्षा करते हैं और समय-समय पर हम रिजर्व बैंक को भी इन सब गतिविधियों से अवगत कराने का कार्य करते हैं.
इस पर यशपाल सिंह सिसोदिया ने कहा कि माननीय मंत्री जी ने विषय की महत्ता को स्वीकार करते हुये पूरे प्रदेश में चिटफंड कंपनी, नाम सुनते ही ऐसा लगता है कि हो गई धोखाधड़ी, इसको लेकर आपने जो गंभीरता बताई. आपने किये गये प्रयास और मैंने जो सुझाव दिये, उनको आगे बढ़ाने का आश्वासन दिया, मैं आपको हृदय से धन्यवाद देता हूं और आभार व्यक्त करता हूं.
नीमच के विधायक दिलीप सिंह परिहार ने कहा कि उनके जिले में भी गरीबों के लगभग 100 करोड़ रूपये इन कंपनियों में जमा हैं। कंपनियों से जुड़े लोग इन चिटफंड कंपनियों में उनका पैसा जमा करा देते हैं तो कम से कम साईंनाथ और इस प्रकार की जो कंपनियां हैं, उनको मार्क करके इनके खिलाफ सख्त कार्यवाही हो जाये, जिससे गरीब लोग उसमें नहीं फंसे.इन कंपनियों में गरीबों की गाढ़ी कमाई का पैसा फंस जाता है इसलिए इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
सुसनेर के विधायक मुरलीधर पाटीदार ने कहा कि मैंने पिछली बार विधान सभा में प्रश्न भी लगाया था और गृहमंत्री जी का बहुत ही सकारात्मक जवाब भी आया था. इसमें दिक्कत यह है कि जो एजेंट होता है जिसने किसी ने दो हजार, पांच हजार, पच्चीस हजार या पचास हजार रूपये कमाये, दो या पांच प्रतिशत कमीशन पर. उसमें अब दिक्कत यह है कि एजेंट मूलधन तो दे ही नहीं सकता है. मूलधन तो कंपनी लेकर भाग गयी है. इसमें दिक्कत यह है मध्यप्रदेश में अभी तक लगभग 22 एजेंट आत्म हत्या कर चुके हैं. एजेंट अभी भोपाल में अनुमति लेने का काफी समय से प्रयास भी कर रहे थे, इन्होंने 14 तारीख को पूरे प्रदेश में प्रदर्शन भी किया है. मेरा आपसे बहुत ही विनम्रतापूर्वक निवेदन है कि अभी एफआईआर एजेंट के ऊपर थाने में दर्ज होती है, कंपनी के ऊपर नहीं होती है. यदि कोई आवेदन आता है तो एजेंट के बजाये थाने में कंपनी के ऊपर एफआईआर हो और हर जिले में नोडल थाना बना दिया जाये तो माननीय मंत्री जी, इस समस्या से बहुत आसानी से निपटा जा सकता है.
शुजालपुर विधायक जसवंत सिंह हाड़ा ने कहा कि माननीय मुरलीधर जी ने बताया, मैं उनकी बात से सहमत हूं कि कमीशन से जीविका चलाने वाले नौजवानों को पुलिस परेशान कर रही है, उनके ऊपर मुकदमे दायर कर रही है और पुलिस ने एक, दो कंपनी के मालिकों को पकड़ने के बाद इतिश्री कर दी है. मेरा कहने का आशय यह है कि जो जनता परेशान हो रही है, जिनका पैसा फंसा है, नौजवान फंसे हैं इनसे कम से कम न्याय मिले.
खातेगांव विधायक आशीष गोविंद शर्मा ने कहा कि ऐसी धोखाधड़ी पूरे मध्यप्रदेश में कई सारी कंपनियों ने की है और कई बार निवेशकों ने इतनी राशि जमी की है कि एक हजार- दो हजार रूपये के कारण वह पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने में संकोच दर्ज करता है कि पैसा चला गया तो चला गया.इस तरह से जो भी कंपनियां मध्यप्रदेश में अवैध तरीके से व्यापार प्रारंभ कर रही हैं, उनकी जानकारी संबंधित पुलिस थाने को होना चाहिये. इस विषय की ओर माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा.
आशीष गोविंद शर्मा ने कहा कि जिन भी कंपनियों ने अभी तक मध्यप्रदेश में पिछले दो-चार वर्षों में निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की है, उनकी संपत्ति मध्यप्रदेश में विभिन्न जगहों पर है और उसके बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के मेम्बर्स हैं, उनके विरूद्ध अभी तक क्या कार्यवाही हुई है, क्या सरकार ने उनकी संपत्ति को बेचकर, निवेशकों को कुछ-कुछ मात्रा में राशि उपलब्ध कराने या राशि वापस कराने का काम किया है ?
गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि कंपनी के संचालकों के विरूद्ध भी हम लोग कार्रवाई की जा रही है।इसके साथ-साथ यह बात सही है कि जो एजेंट होते हैं वह स्थानीय होते हैं और कंपनियां बाहर की होती हैं और नौजवान रोजगार के कारण उनके शिकार हो जाते हैं. परंतु हम कार्यवाही कंपनी के खिलाफ भी कर रहे हैं और अगर एजेंटो के विरूद्ध शिकायत नामजद आती है तो फिर पुलिस को उसमें कार्यवाही करना पड़ती है.
जहां तक कंपनियों की संपत्ति का प्रश्न हैं तो सामान्यत: इन कंपनियों के हेड-क्वार्टर होते हैं, वह राज्य से बाहर दिल्ली, मुम्बई या देश के अन्य जगहों में होते हैं. वह अपने छोटे-छोटे कार्यालय जिलों में कहीं-कहीं पर बनाते हैं. परंतु इसमें भी हमने न्यायालय में आवेदन दिया हुआ है कि इन कंपनियों की जो भी संपत्ति है, उसकी कुर्की करने का अधिकार हम लोगों को मिले. चूंकि नियमों में प्रावधान है कि न्यायालय से अनुमति लेना पड़ती है और न्यायालय अनुमति देता है तभी हम उनकी संपत्ति कुर्क कर सकते हैं. वह कार्यवाही भी पूर्व से प्रचलन में है. आसंदी पर विराजमान उपाध्यक्ष के माध्यम से गृहमंत्री ने कहा कि मैं सभी माननीय सदस्यों को विश्वास दिलाता हूं कि जो-जो कार्यवाही हमारे स्तर पर संभव हो सकती है, हम वह करेंगे. यह पूरे प्रदेश से संबंधित प्रश्न है और अनेक लोग इससे प्रभावित हैं.
जावद के विधायक ओमप्रकाश वीरेन्द्र कुमार सखलेचा ने कहा कि जितनी भी चिटफण्ड कंपनियां तय सीमा से अधिक रिटर्न की गारण्टी देती हैं, उसका संज्ञान जिले में पहले ही डी.एम. और एस.पी. को लेना चाहिेए। इस संबंध में जागरूकता अभियान भी चलाया जाना चाहिए। क्योंकि अंत में लंबी सरकारी प्रक्रिया के कारण गांव का गरीब-छोटा आदमी मरता है जिसके पैसे की कीमत कई गुना ज्यादा है. मेरा सीधा सा प्रश्न यह है कि जिले का डी.एम. और एस.पी. पहले ही कार्यवाही क्यों नहीं करते हैं, जब राशि का कलेक्शन किया जाता है, जिसकी कोई डिटेल ही नहीं होती है. आर.बी.आई के नियमानुसार चिटफण्ड कंपनियों के सभी विवरण एवं उनके संचालकों की जानकारी देना अनिवार्य है. यह सारी जानकारी जग-जाहिर कर देने से बड़ी संख्या में जनता कंपनियों के धोखे में आने से पहले ही बच सकती है क्योंकि कंपनी के धोखे में आने के बाद विवाद हो जाता है और स्थानीय एजेंट फंस जाता है.
उन्होंने कहा कि क्या प्रशासन पहले ही थोड़ी चिंता करते हुए, जब जरूरत से अधिक राशि के रिफण्ड का विज्ञापन आता है, तो डी.एम.उसी समय कार्यवाही क्यों नहीं करता है ? यदि डी.एम. प्रारंभ में ही ऐसी सभी चिटफण्ड कंपनियों की जानकारी ले लेगा तो इतने अधिक लोग ऐसी कंपनियों के चक्कर में नहीं फंसेंगे.
उन्होंने कहा कि नीमच जिले में तीनों विधायकों ने डी.एम. से बात की है. एस.पी. ने कार्रवाई करने की प्रक्रिया भी शुरू की लेकिन दूसरे ही दिन बात आकर एजेंट पर अटक जाती है. इसलिए ऐसे प्रकरणों में पहले से कार्रवाई करनी पड़ेगी. मध्यप्रदेश में जितनी भी ऐसी कंपनियां हैं, उनकी सूची बनाकर, उनका डाटा इकट्ठा करने में कितनी देर लगेगी. डाटा इकट्ठा करके उनकी संपत्तियों का मूल्यांकन करवाकर जग-जाहिर कर दिया जाए. चिटफण्ड कंपनियों के धोखाधड़ी के मामले में उत्तरप्रदेश अव्वल स्थान पर है. रोज ऐसे घटनाक्रमों से बचने के लिए एडवांस में कंपनियों की पूरी जानकारी लेकर जिला मुख्यालय पर सूची लगाई जा सकती है.
सतना विधायक शंकर लाल तिवारी ने कहा मैं सरकार से केवल इतना निवेदन करना चाहूंगा कि यह गोरखधंधा पिछले 40-50 सालों से चल रहा है. आज सदन में इस पर सार्थक चर्चा हुई है. तत्काल आज ही माननीय मंत्री जी, यह कहे कि प्रदेश के अंदर जितनी भी ऐसी चिटफण्ड कंपनियां हैं चाहे किसी ने भी उन्हें परमिशन दी हो, हमारे यहां ये कंपनियां लूट का कारण हैं तो उन्हें आज ही प्रतिबंधित किया जाना चाहिए और इनके मालिकों को जेल में डाला जाना चाहिए. माननीय गृह मंत्री जी इस अपराध को जमानती अपराध के स्थान पर पॉक्सो एक्ट जैसा कानून लगाकर इसे गैरजमानती अपराध घोषित करें.
इस पर आसंदी से राजेन्द्र सिंह जी ने कहा कि शंकर लाल जी, आप बहुत ही वरिष्ठ एवं अनुभवी सदस्य हैं. माननीय मंत्री जी ने स्पष्ट किया है कि आर.बी.आई. को पत्र लिखा गया है और आर.बी.आई. ने आर.ओ.सी. को निर्देश दिए हैं. लगभग 4500 कंपनियों को सूची से हटाया गया है. जहां तक कंपनियों को प्रतिबंधित करने का प्रश्न है, यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं है. आर.बी.आई. इन कंपनियों को लाइसेंस देता है. फिर भी मेरा मंत्री जी को एक सुझाव है कि व्यापक स्तर पर पूरे प्रदेश में ऐसी धोखाधड़ी की घटनायें हुई हैं. मेरे विधान सभा क्षेत्र में भी एक डायमंड कंपनी, क्रिस्टल कंपनी है, उनके भी क्षेत्र में लगभग सभी के क्षेत्रों में हैं. आपकी पुलिस तभी पिक्चर में आती है जब आपका अपराध घटित हो जाता है. इसके एजेंट, मालिक, डायरेक्टर्स जिसके खिलाफ भी शिकायत आएगी आप उनको दोषी बनाएंगे. एजेंट भी धारा 120-बी का अपराधी हो जाता है चूंकि उनके साथ काम करता है. यह बात अपनी जगह है लेकिन यह गंभीर विषय है. मेरा सुझाव है कि मॉनिटरिंग के लिए पी.एच.क्यू. में आप एक सेल स्थापित करें और वह सतत् संपर्क आपके जिलों से और थानों से रखें जो नई कंपनियां आ रही हैं उनकी सारी जानकारी ले, आप स्पेशल ब्रांच के माध्यम से पॉलिटिकल जानकारी तो लेते ही हैं यह जानकारी भी ली जाए कि अब जो नई कंपनियां आ रही हैं वह क्या कर रही हैं, किन कार्यों में लिप्त हैं, क्या गड़बड़ हो रही है? ताकि आपको प्रदेश स्तर पर त्वरित रूप से जानकारी मिल सके. दूसरा जिन कंपनियों ने यह अपराध घटित किया है आप नि:संदेह कार्यवाही कर रहे हैं, इसमें कोई दो-राय नहीं है लेकिन एक विशेष अभियान चलाकर जो अपराधी लोग हैं जो किसी कारण से घूम रहे हैं और आपने सही बताया कि इनका हेडऑफिस दिल्ली में है, गाजियाबाद में है, मुम्बई में है वहां तक पहुंच पाना कठिन होता है और आपकी पुलिस दूसरे कार्यों में भी व्यस्त रहती है. पुलिस की संख्या भी सीमित है लेकिन इसको जरूर गंभीरता से लें. यह हजारों करोड़ का मामला है. अगर आप पूरे प्रदेश में देखेंगे एक ही जिले में 15 करोड़ की बात कही गई है।
गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि अभी भी स्थिति यह है कि जो फ्रॉड कंपनियां हैं इनकी कई स्तर पर शिकायत होती है. ई.ओ.डब्ल्यू. में भी शिकायत होती है, जिला स्तर पर भी शिकायत होती है, सी.आई.डी. में भी शिकायत होती है. अनेक एजेंसिया इसकी अलग- अलग जांच करती हैं परंतु आपके सुझाव, निर्देश दोनों को हम मानते हुए पुलिस मुख्यालय में हम जो चिटफंड कंपनियां है इनकी सतत् मॉनिटरिंग के लिए ए.डी.जी. के नेतृत्व में हम एक सेल आपके निर्देशानुसार बनाएंगे और पूरी गंभीरता से सरकार इसको देखेगी.