उत्तर प्रदेश पुलिस ने गधों 8 गधों को हिरासत में ले लिया था और उन्हें 4 दिन तक थाने में रखा गया। जेल सुपरिन्टेंडेंट ने पेड़-पौधों का नुक्सान करने के मामले में 8 गधों को 24 नवंबर को बंद कर दिया था और मालिक की गुजारिश के बाद भी उन्हें रिहा नहीं किया जिसके बाद एक स्थानीय बीजेपी नेता की सिफारिश के बाद इन गधों को जेल से रिहाई मिली।
इन गधों का कसूर था कि इनका झुंड जेल परिसर में बनी कालोनी की बागवानी नष्ट कर देता था। बीते 15 दिनों से रोज ही गधों का झुंड जेल कालोनी में की गई बागवानी में घुस जाता था और सब्जी तथा फूलों के पौधे नष्ट कर देता था। जेल के एक कांस्टेबल आरके मिश्रा के अनुसार जेल सुपरिन्टेंडेंट सीताराम शर्मा ने कुछ ही दिन पहले तकरीबन 5 लाख रुपए के पेड़ मंगाए थे। जिन्हें जेल परिसर में लगाया जाना था, लेकिन बाहर घूम रहे इन गधों ने पेड़ पौधों को तहस-नहस कर दिया। इस पर सुपरिन्टेंडेंट ने गधों को जेल में बंद करने की सजा दी।
इन गधों के मालिक गणेशगंज निवासी कमलेश, जितेंंद्र, महेश, हरीनारायण और हिम्मत को चार दिन बाद जब अपने लापता खच्चरों की खबर लगी तो वह उन्हें छुड़ाने के लिए हर संभव कोशिश में जुट गया। उसने जेल के चक्कर काटे पर उसे अपने गधों को छुड़ाने में सफलता नहीं हासिल हुई तो थक- हारकर उसने एक BJP नेता से मदद मांगी।
गधों को जेल से रिहा कराने के लिए भाजपा नेता को काफी मशक्कत करनी पड़ी। गधों की पैरवी करने की वजह से जेल के अंदर उनका काफी मजाक भी उड़ाया गया। फिलहाल पूरे मामले में जेल प्रशासन चुप्पी साधे हुए है।
आपको बता दे कि UP में विधानसभा के चुनाव के दौरान गधे चुनाव की बहस का एक बड़ा मुद्दा बने थे। चुनाव प्रचार के दौरान तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने रायबरेली में एक सभा के दौरान गुजरात सरकार के पर्यटन विभाग के टीवी विज्ञापन की तरफ इशारा करते हुए कहा था, ‘मैं सदी के महानायक से अपील करता हूं कि वह गुजरात के गधों का प्रचार न करें।’