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मुख्यमंत्री इछावर इसलिए नहीं आते, क्योंकि यहां आने पर मुख्यमंत्री की कुर्सी चली जाती है

सीहोर  इछावर-देश में कई ऐसे छोटे-बड़े शहर है, जिनसे राजनीति के कई मिथक जुड़े हुए है. किसी राज्य में कोई ऐसी विधानसभा की सीट होती है, जिसमें चुनाव जीतने वाली पार्टी ही सत्ता पर काबिज होती है, तो कुछ ऐसे कस्बे भी होते हैं, जहां का दौरा करने पर मुख्यमंत्री को अपनी सत्ता गंवानी पड़ती है.

मध्य प्रदेश में भी एक ऐसा ही कस्बा है, जहां आने वाले मुख्यमंत्री की कुर्सी भी एक साल के भीतर चली जाती है. यह कस्बा मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर का इछावर है. माना जाता है कि इस वजह से ही मुख्यमंत्री ने एक बार भी इछावर का दौरा नहीं किया. दरअसल, ये कस्बा अचानक इस वजह से सुर्खियों में आया है, क्योंकि मंगलवार को विधानसभा में मुख्यंत्री के इछावर नहीं आने का मुद्दा उठा. कांग्रेस विधायक शैलेंद्र पटेल ने सवाल पूछा था कि मुख्यमंत्री चौहान कितनी बात इछावर मुख्यालय आए, जिसके जवाब में सरकार की तरफ से बताया गया कि एक बार भी नहीं. सरकार के जवाब के बाद कांग्रेस विधायक ने शिवराज सिंह चौहान पर अंधविश्वास का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री इछावर इसलिए नहीं आते, क्योंकि यहां आने पर मुख्यमंत्री की कुर्सी चली जाती है. -इछावर के इस मिथक को तोड़ने का प्रयास 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने किया था. -मुख्यमंत्री रहते हुए दिग्विजय सिंह 15 नवंबर, 2003 को इछावर में आयोजित सहकारी सम्मेलन में शामिल हुए थे. -उन्होंने अपने भाषण में कहा था- मैं मुख्यमंत्री के रूप में इछावर के इस मिथक को तोड़ने आया हूं. इसके बाद हुए चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई और मिथक बरकरार रहा. पिछले 12 वर्षों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इछावर आने का कार्यक्रम तो कई बार बना, लेकिन वे नहीं आए.
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