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इंदौर

गहलोत के हाथों में कांग्रेस का भविष्य कितना सुरक्षित ?

गहलोत के हाथों में कांग्रेस का भविष्य कितना सुरक्षित ?

 

"मैं पार्टी हित में तीन पद संभालने को भी तैयार हूं" यह कहना है कांग्रेस अध्यक्ष पद के दावेदार और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का...गहलोत के इसी बयान में कांग्रेस के रसातल में जाने की वजह छुपी है...लोकसभा में बहुमत के बावजूद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भले ही प्रधानमंत्री का पद ठुकरा कर त्याग का उदाहरण पेश करती हों लेकिन लगभग आधी सदी तक सत्ता का सुख भोगने वाले कांग्रेसी मठाधीश सत्ता और पद के मोह में गुड़ की मक्खी की तरह चिपके रहना चाहते हैं....उम्र के अंतिम पड़ाव में भी 

उनकी पद की लालसा या सत्ता का मोह कभी खत्म नहीं होता....गहलोत एक और जहां कांग्रेस आलाकमान बनना चाहते हैं वहीं राजस्थान का मुख्यमंत्री पद भी छोड़ना नहीं चाहते...इसके पीछे सत्ता मोह के साथ साथ सचिन पायलेट से उनकी राजनैतिक प्रतिद्वंदता भी शामिल है...वो किसी भी हाल में सचिन पायलेट को मुख्यमंत्री पद पर नहीं देखना चाहते...ऐसे में यह सवाल उठता है कि जो शख्स पार्टी का मुखिया बनने जा रहा है वो महज़ राजनैतिक प्रतिद्वंदता के चलते अपनी ही पार्टी के एक योग्य मेहनती और संभावनापूर्ण नेता के अस्तित्व को खत्म करना चाहता है...पार्टी हित की बजाय अपने राजनैतिक हितों को प्राथमिकता देने वाला नेता पार्टी का उत्थान कर सकेगा यह सोचना भी बेमानी है...बहरहाल जो लोग भारतीय राजनीति में कांग्रेस के पुनः उदय का सपना देख रहे हैं उन्हें गहलोत के बयान से अंदाज़ा लगा लेना चाहिए की कांग्रेस में सत्ता और पद की लालसा गहराई में उतर चुकी है और गहलोत जैसे पद लोलुप लोगों के नेतृत्व संभालने के बावजूद भी कांग्रेस का भला होने से रहा। 

(परवेज़ इकबाल)

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