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भोपाल

शिवराज सरकार का महिला विरोधी रूप या जिला प्रशासन की नाकामी

शिवराज सरकार का महिला विरोधी रूप या जिला प्रशासन की नाकामी

राजधानी भोपाल से जहां एक ओर प्रदेश के मुखिया आये दिन महिला हितेषी योजनाओं की घोषणा कर अपने आप को मामा , भय्या कहलाकर खुश होते रहते हैं वही दूसरी ओर राजधानी में ही एक विकलांग महिला अपने लिए न्याय की गुहार के लिए 7सालों से दर बदर की ठोकरें खा रही है, बदले में उसको मिल रहा केवल और केवल प्रशासन की दुत्कार।
जी हां मैं बात कर रहा हूं राजधानी भोपाल के कोलार उप नगर के सर्वधर्म दामखेड़ा की विकलांग महिला शालू कपिल की। 27वर्षीय शालू कपिल जन्म से विकलांग है उसके दोनो हाथ दोनो पैर खराब है। बचपन में मां की मौत और शराबी बाप के कारण बचपन से ही संघर्ष कर रही शालू कपिल की कहानी दर्दनाक है।
मां ने बचपन में खुदकुशी कर ली क्योंकि बाप शराबी था, मां के मरने के बाद नाना नानी शालू कपिल और उसके छोटे भाइयों को अपने साथ ले गए। पीठ पीछे शराबी बाप के नशे की लत का एक पड़ोसी ने फायदा उठाया और उसके पट्टे वाली जमीन पर किरायेदार के रूप में घुसकर पहले कब्जा कर लिया फिर शालू कपिल के बाप को घर से निकाल दिया। 
2017में जब शालू कपिल अपने बाप के घर लौटी तो देखा कि मां बाप के मकान पर संतोष शेजवार ने कब्जा कर लिया है और फर्जी पट्टा भी बना।लिया है।शालू कपिल ने इसकी गुहार प्रशासन से की। मामला कलेक्टर भोपाल की कोर्ट तक पहुंचा ।तत्कालीन कलेक्टर सुदाम खाड़े ने सभी तरह की जांच  उपरांत पाया की शालू कपिल के साथ संतोष शेजवार ने छल किया है।2018में उन्होंने कोलार एस डी एम सहित तहसीलदार को आदेश दिए कि शालू को कब्जा दिलाया जाए लेकिन बेईमान तात्कालिक कोलार एस डी एम सहित तहसीलदार ने अनियमित आचरण अपनाया ।शालू कपिल के पक्ष में फैसला आने के बाद तहसीलदार कोलार ने दुबारा जांच का पाखंड किया ।इधर संतोष ने कलेक्टर के आदेश के खिलाफ अपर कमिश्नर भोपाल संभाग कोर्ट में केस लगा दिया। शालू कपिल उससे अंजान थी। तहसीलदार और संतोष की।मिलीभगत का परिणाम हुआ की 2020तक तहसीलदार जांच करते ही रहे और कोई ठोस करवाई नही हुई। कोरोना के दंश ने शालू कपिल के दादा को छीन लिया ।तहसीलदार कोर्ट में 2022तक पैशियां करने वाली शालू कपिल के पक्ष में तत्कालीन भोपाल संभाग आयुक्त कल्पना श्रीवास्तव ने भी आदेश किया लेकिन तहसील कोलार वालों ने इसको दबा दिया।
शालू कपिल के खिलाफ अपर कमिश्नर भोपाल संभाग में 2018से चल रहे केस की सूचना तक शालू कपिल को कोर्ट ने नही दी।इस दरमियान संतोष को जालसाजी में जेल की सजा भी हो गई वह 15माह की सजा काटकर जब वापस आया तो उसके द्वारा अपर कमिश्नर को गलत जानकारी देकर केस में स्टे भी ले लिया। स्टे आदेश के बाद जनवरी 2023में शालू कपिल को केस की जब जानकारी हुई तो उसने अपर कमिश्नर के सामने न्याय की गुहार लगाई।लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि एक महिला होकर भी उन्होंने विकलांग महिला के प्रति कोई दया भावना नही दिखाकर उसको डांट लगाई तथा तबसे आज तक केवल पेशियां देकर टाल रही हैं ।संतोष शेजवार बदनीयती से 03माह की।पेशी ले जाता है ओर अपर कमिश्नर कोर्ट आसानी से बिना किसी कारण के स्टे हटाए बगैर पेशी बढ़ा देती हैं।
2018से मकान को असल मालिक होने के बावजूद शालू कपिल दर बदर।की ठोकर खा रही है और प्रशासन ,नगर पालिका निगम तथा पुलिस के संरक्षण में संतोष शेजवार ने उक्त स्थान पर पक्की दुकान,मकान बना लिया ।प्रशासन या अन्य एजेंसी में शालू कपिल द्वारा की गई शिकायत के बाद भी कोई कारवाही नही की।
शिवराज सरकार के दावों को पलीता दिखाती शालू कपिल की कहानी भोपाल प्रशासन के मुंह पर तमाचा है जो यह साबित करता है कि गरीब को न्याय की आस नही करनी चाहिए क्योंकि प्रशासन में बैठे डकैत सिर्फ पैसे वालों की जेब में पड़े रहते हैं।
 सैयद खालिद कैस की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट।

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