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भोपाल

महज एक रुपए और एक रोटी के खातिर मैला ढोती मासूम : शिवराज सरकार की पोल खोलती खबर

महज एक रुपए और एक रोटी के खातिर मैला ढोती मासूम

 

शिवराज सरकार की पोल खोलती खबर

 

मध्य प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर जिस तन्मयता से कार्य कर रहे हैं वह किसी से छिपा हुआ नहीं है। इस चुनावी साल में ताबड़तोड़ घोषणाओं ने यह साबित कर दिया है कि वह इस विधान सभा चुनाव में 2018 की हार का दंश मिटा देंगे। लेकिन आपसी खींचतान से आगामी चुनाव में उनके पैरों के नीचे से जमीन खिंचती नजर आ रही है।।यही कारण है कि मामा जी को लाडली लक्ष्मी के अपार प्रदर्शन के बाद लाड़ली बहना योजना का ध्यान आया और उन्होंने उसको भुनाने में देर नहीं की। यह और बात है कि घात लगाए कांग्रेस ने अपनी योजना उजागर कर शिवराज सरकार के होश उड़ा रखे हैं।

 

कमलनाथ सरकार के 15माह को घटा दिया जाए तो प्रदेश में 2003 से मध्य प्रदेश में भाजपा और शिवराज सरकार है। सैकड़ों घोटालों का दाग लिए सरकार के दामन में एक और दाग गत दिनों अशोक नगर के बहादुरपुर से क्रांतिकारी पत्रकार आदित्य त्रिवेदी द्वारा प्रकाशित एक खबर ने लगा दिया। यह दाग केवल शिवराज सरकार पर ही नहीं बल्कि केंद्र सरकार के मुंह पर लगी कालिख से कम नहीं है। मामला है ही इतना घृणित और अमानवीय, जिसकी देश की आजादी के 75साल बाद कल्पना करना भी असहनीय है। लेकिन अमृत काल के इस युग में हकीक़त में घटित इस घटना ने मानवता को तार तार कर दिया है।

केंद्र सरकार के एक मंत्री के संसदीय क्षेत्र (चुनाव हार गए थे) तथा भाजपा के सांसद के संसदीय क्षेत्र में आने वाले जिला अशोक नगर के बहादुरपुर में एक मासूम 12 वर्षीय दलित बालिका की कहानी ने भाजपा सरकार के काले पतित चेहरे को उजागर कर दिया है। 06माह पूर्व अपने पिता की मृत्यु के बाद 03परिवारों की आजीविका का भार कांधों पर लिए इस मासूम को महज एक रुपए और एक रोटी की खातिर कस्बे के घरों के सामने गली में झाड़ू लगाना, नाली साफ करना और कुछ घरों के टॉयलेट साफ करना पड़ता है।उसे रोजाना हर घर से एक रोटी और माहवार तीस रुपए मिलते हैं। उसका यह काम तीन परिवारों को रोजी दे रहा है। कस्बे के करीब बीस घरों में सफाई का काम करने वाली इस मासूम की बिगड़ी आर्थिक स्थिति ओर उस पर उसके मासूम कंधो पर परिवार की आजीविका का भार मध्य प्रदेश की सरकार के तमाम दावों की पोल खोल रहा है। समाचार प्रकाशित होने के बाद कलेक्टर अशोकनगर श्रीमती आर उमा महेश्वरी द्वारा इस घटना पर स्वीकारोक्ति इस बात का प्रमाण है कि शिवराज सरकार केवल कोरी कल्पना पर आधारित घोषणा वीर सरकार है। जिसने धरातल पर कोई काम नहीं किया।घोषणाओं के जहाज पर चलने वाले मामा शिवराज के लिए इस मासूम की मजबूरी यह साबित करती है मामा केवल कागजों में कार्यवाही पर वाहवाही लुटते हैं।

 

गौर तलब हो कि आजादी के बाद लगातार देश में व्याप्त कुरीतियों को समय-समय पर समाप्त करने का अभियान चला जिसमें से एक कुरीति कहें या व्यवस्था वह थी सिर पर मैला ढोने की प्रथा। जिसका एक रूप "कच्चे शुष्क शौचालय" थे। शासन प्रशासन ने अपने तौर पर करीब प्रदेश के सभी भागों से यह व्यवस्था को नष्ट कर दिया या करा दिया।लोगों में जागरूकता आई तो लोगों ने भी नवीन व्यवस्थाओं को अपने जीवन में शामिल कर लिया ओर शनैः-शनैः: यह प्रथा समाज से समाप्त हो गई। लेकिन अशोक नगर के बहादुर पुर कस्बे में महज पांच वर्ष पहले तक सिर पर मैला ढोने की अमानवीय व घृणित प्रथा कई दशकों से बदस्तूर चल रही थी तत्समय एक समाचार प्रकाशित होने के बाद तत्कालीन कलेक्टर बाबूसिंह जामोद एवं एसडीएम सुमनलता माहौर की पहल ने इस कस्बे के एक दर्जन से अधिक शुष्क शौचालय तुड़वाए थे और इस घृणित प्रथा से करीब आधा दर्जन महिलाओं को मुक्ति दिलाई थी। स्वयं कलेक्टर ने टॉयलेट साफ कर अखबारों में फोटो छपवाकर काफी वाह वाही लूटी थी। लेकिन उनके जाते ही फिर घृणित प्रथा जीवित हुई और आज भी जिंदा है। उक्त मासूम की कहानी उसी को प्रमाणित करती है। सफाई व्यवस्था में लगे परिवारों को आर्थिक स्थिति से अंजान सरकार द्वारा उनके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाना नाकामी को उजागर करता है। समाचार प्रकाशन के बाद अशोक नगर कलेक्टर श्रीमती आर उमा महेश्वरी, कलेक्टर का यह बयान आना कि यह तो सुनने में ही बेहद बुरा लग रहा है कि आज भी यह कुप्रथा चली आ रही है। बच्चियों को एक रोटी और एक रूपये के लिए इतनी मेहनत का काम करना पड़ रहा है। इस संबंध में कोई स्वरित कार्रवाई करते हैं और परिवारों का आर्थिक स्तर ऊंचा उठाने के लिए उन्हें स्व-सहायता समूह के माध्यम से रोजगार देने की योजना बनाते हैं।" गैर जिम्मेदारी को प्रदर्शित करता है। जिले में मैला ढोने की प्रथा का जीवित होना 03परिवारों की आजीविका का भार कांधों पर लिए इस मासूम को महज एक रुपए और एक रोटी की खातिर कस्बे के घरों के सामने गली में झाड़ू लगाना, नाली साफ करना और कुछ घरों के टॉयलेट साफ करना जैसी अमानवीय घटना सरकार को शर्मसार करती है।

एक और लड़की लक्ष्मी योजना का प्रपंच दूसरी ओर मासूम द्वारा अपने परिवार के खातिर बाल श्रम करने की विभस्त घटना ने मामा शिवराज सरकार की पोल खोल दी है। भाजपा और मामा ने 20साल में प्रदेश में कितना विकास किया है यह घटना उसकी मिसाल है।

सैयद खालिद कैस  की खास रिपोर्ट

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